24 News update जयपुर। राजस्थान में अब आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी को लेकर नई व्यवस्था लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्वायत्त शासन विभाग (UDH) ने मंगलवार को 13 सूत्री गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन के अनुसार छह माह से कम उम्र के पिल्लों और पिल्लों वाली मादा श्वानों को नहीं पकड़ा जाएगा। प्रदेशभर के सभी नगरीय निकायों को यह दिशा-निर्देश 30 दिन में लागू करने के आदेश दिए गए हैं।
यदि किसी निकाय ने पालना नहीं की तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लोगों की सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों पर फोकस
UDH के शासन सचिव रवि जैन ने कहा कि यह कदम लोगों की सुरक्षा और पशु कल्याण, दोनों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। उन्होंने बताया कि स्टरलाइजेशन क्षमता बढ़ाने, वार्ड स्तर पर सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने पर जोर दिया गया है।
बता दें कि हाल ही में भीलवाड़ा में आवारा कुत्तों के प्रति क्रूरता बरतने पर छह कर्मचारियों को निलंबित किया गया था।
गाइडलाइन के मुख्य बिंदु
- प्रत्येक सड़क, वार्ड और क्षेत्र में आवारा कुत्तों के लिए भोजन स्थल निर्धारित किए जाएंगे।
- इन स्थलों की पहचान फीडरों की सलाह से होगी और वहां स्पष्ट बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा।
- नसबंदी केंद्रों की पहचान, निर्माण और मरम्मत कर उनमें नसबंदी, टीकाकरण और डीवार्मिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए केवल प्रशिक्षित कर्मचारी नियुक्त होंगे, जो उन्हें केवल जाल या हाथ से पकड़ेंगे।
- किसी भी स्थिति में टोंग्स, तार, फंदे या अन्य कठोर उपकरणों का प्रयोग वर्जित रहेगा।
- कुत्तों को पकड़ने पर AWBI से मान्यता प्राप्त एनजीओ को 200 रुपए तथा नसबंदी, भोजन और देखभाल पर 1450 रुपए दिए जाएंगे।
- प्रत्येक निकाय में निगरानी समिति बनेगी, जिसमें एक पशु अधिकारी/कार्यकर्ता को शामिल करना अनिवार्य होगा।
- समिति की बैठक में नियमित रूप से नसबंदी, टीकाकरण और रिहाई कार्यक्रम की समीक्षा होगी।
- रेबीज संदिग्ध कुत्तों को पशु चिकित्सक की निगरानी में पकड़ा और रखा जाएगा।
- केवल बार-बार काटने वाले कुत्ते ही पकड़े जाएंगे और पंजीकृत पशु कल्याण संगठन को सौंपे जाएंगे।
- यदि पकड़े गए कुत्ते आक्रामक या रेबीज ग्रस्त नहीं पाए गए तो उन्हें मूल स्थान पर वापस छोड़ना अनिवार्य होगा।
- कार्रवाई से पहले स्थानीय लोगों को पूर्व सूचना देना जरूरी होगा।
- रिकॉर्ड में खाद्य, उपचार, वैक्सीन, मृत्यु दर, सर्जिकल उपकरण, कर्मचारियों की उपस्थिति, डॉग वन लॉग बुक और 30 दिन का सीसीटीवी फुटेज अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाएगा।
- बीमार या घायल कुत्तों का पहले इलाज किया जाएगा और स्वस्थ होने पर उनकी नसबंदी की जाएगी।
- छह माह से छोटे पिल्ले और पिल्लों वाली मादा श्वान को तब तक नहीं पकड़ा जाएगा, जब तक पिल्ले प्राकृतिक रूप से दूध पीना बंद न कर दें।
- नसबंदी और वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को उनके मूल क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
- मेडिकल प्रक्रिया वाले स्थान और कुत्तों को रखने वाले ACB केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होगा।
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