24 न्यूज अपडेट.जयपुर। भर्ती परीक्षाओं में फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने वालों के रैकेट पर बडा प्रहार हो रहा है। अब एक निजी विश्वविद्यालय के संस्थापक और एक अन्य यूनिवर्सिटी के मालिक जांच की आंच में आए हैं व उनको गिरफ्तार किया है। दोनों से एसओजी के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं, बताया जा रहा है किएक महिला को भी हिरासत में लिया गया है। एसओजी-एटीएस के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि फर्जी डिग्री के मामले में राजगढ़ (चूरू) स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संस्थापक जोगेंद्र सिंह और सनराइज यूनिवर्सिटी व एमके यूनिवर्सिटी के मालिक- पार्टनर जितेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया है. ओपीजेएस विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार रही महिला सरिता कड़वासरा को भी रोहतक में हिरासत में लिया गया है। वह जोगेंद्र की महिला मित्र भी है। ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संस्थापक जोगेंद्र सिंह ने राजस्थान से लेकर बिहार और उत्तर भारत तक ज्यादातर राज्यों तक फर्जी डिग्री बेचने का जाल बिछा रखा था। जितेंद्र यादव ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार था, बाद में पार्टनरशिप में अलवर में सनराइज यूनिवर्सिटी खोली और पाटन में एमके यूनिवर्सिटी शुरू की। जोगेंद्र सिंह रोहतक में स्कूल चलाता है। बारां में और जितेंद्र ने बूंदी में एक-एक नए विवि खोलने की तैयारी कर रखी है। दलालों का एक पूरा नेटवर्क काम करता था।
पीटीआई भर्ती में 1300 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन में जानकारी दी कि उनके पास ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की बीपीएड की डिग्री है। जबकि इस विश्वविद्यालय में बीपीएड की 100 सीट ही आवंटित है। फर्जी डिग्री गिरोह से जुड़े बदमाश बिना डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को किसी भी परीक्षा में आवेदन करवा देते फिर वह परीक्षा देताया उसकी जगह डमी अभ्यर्थी बिठाकर परीक्षा पास करवाई जाती। परीक्षा पास होने पर फर्जी डिग्री मुहैया करवाकर नौकरी लगवा दी जाती। बदले में मोटी रकम वसूल की जाती। पीटीआई भर्ती में 80 से ज्यादा चयनित अभ्यर्थियों के पास ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्री है. ये सभी अभ्यर्थी भी जांच के दायरे में हैं। आरोपी फर्जी खेल प्रमाण पत्र भी मुहैया करवाते थे। खेल प्रमाण पत्र के लिए किसी कॉलेज का स्टूडेंट होना जरूरी था। आरोपी फर्जी तरीके से अभ्यर्थी कोयूनिवर्सिटी में दाखिला देते और उसके नाम पर खेल प्रमाण पत्र जारी करवाते। इनके फर्जी डिग्री और प्रमाण पत्र लेकर बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी हासिल की गई है। ओपीजेएस यूनिवर्सिटी में 15 से ज्यादा कोर्स के संचालन का दावा किया जाता है. जबकि इनके पास स्टाफ की संख्या महज 27 हैं।
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