24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। उदयपुर शहर में ऐसी संस्थाओं की भरमार है जो सेवा कार्य करने का दंभ भरती हैं और बेसहारा लोगों के नाम पर जमकर चंदा और सहयोग राशि भी जुटाती है लेकिन जब वास्तव में सेवा का मौका आता है तो बहानेबाजी कर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की कोशिश होती है। कल रात को कुछ ऐसा ही हुआ। गोगुंदा में मिले एक बच्चे को उदयपुर लाया गया व यहां पर एक संस्थान उसको देर रात तक शेल्टर दिलाने के लिए जद्दाजहत करती रही। नियमों की आड़ में सब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहे। फिर क्या पुलिस और क्या समाजसेवी संस्थान। आखिरकार रात को 2 बजे एक संस्थान ने उन्हें शरण दी तब जाकर बच्चे को लेकर दौडभाग कर रहे लोगों की जान में जान आई। इस वाकये से बडा सवाल उठ गया है कि आखिर इतनी संस्थाएं होते हुए भी शहर में ऐसा कोई सिस्टम क्यों नहीं बन सका है कि जिससे किसी बेसहारा को तुरंत मदद मिल सके। कलेक्टर और विधायक को इस बारे में तुरंत संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
गौरतलब है कि गोगुंदा थाना क्षेत्र में भादवि गुडा गांव से चाइल्ड हेल्पलाइन बाल अधिकारिता विभाग में कॉल कोलर की ओर से बताया गया कि एक 17 वर्षीय बालक गुमशुदा मिला है। चाइल्ड हेल्प लाइन परियोजना समन्वयक नवनीत औदिच्य ने टीम से संबंधित थाने से संपर्क किया और बालक को उदयपुर लाने के लिए आग्रह किया। इस पर काफी चर्चा के बाद रात 10 बजे गोगुंदा थाना बाल कल्याण अधिकारी विनेश कुमार बालक को बड़गांव चाइल्ड हेल्पलाइन टीम के रोहित गरासिया व प्रेमचंद को बालक को सुपुर्द कर चले गए। उसके बाद बालक को लेकर टीम बाल कल्याण समिति अध्यक्ष यशोदा पूनिया के पास पहुंची। लेकिन बालक को देख कर 18 वर्ष से अधिक आयु का होने का संशय होने पर उन्होंने अपना ज्यूडिशरी क्षेत्र नहीं होने की बात कह दी। बालक को चाइल्ड हेल्पलाइन टीम को आशा धाम आश्रम स्थल में आश्रय दिलवाने के लिए कहा। टीम बालक को लेकर रात 12 बजे आशा धाम पहुंची। आशा धाम के अधिकारियों ने बालक को लेने से मना कर दिया। इस पर अंबा माता थाना से पुलिस भी बुलाया गया लेकिन अधिकारियों ने बालक को लेने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद मौके पर बिना पुलिस जाप्ते के टीम रात्रि 1ः30 बजे तक इसी तरह परेशान होती रही। इस पर समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गिरीश भटनागर से संपर्क किया गया। उन्होंने त्वरित आदेश पर बालक के अपना घर संस्थान आयड़ में रखने के मौखिक आदेश दिए। चाइल्ड हेल्पलाइन टीम सदस्य अकेले महेंद्र सिंह एवं मोहन गायरी बालक को लेकर गए और रात्रि 2 बजे उसको आश्रय दिलाया जा सका। परियोजना समन्वयक नवनीत औदीच्य ने बताया कि किशोर की उम्र का कोई दस्तावेज नहीं है, वह अपना नाम छोटू खान और एमपी निवासी होना बता रहा है। इसके अलावा कोई भी सूचना वह देने में असमर्थ है। इस संबंध में कोई सूचना मिले तो चाइल्ड हेल्पलाइन बाल अधिकारिता विभाग उदयपुर से संपर्क किया जा सकता है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.