24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर के निवर्तमान हुए उप महापौर पारस सिंघवी जब भी कुछ बोलते हैं, चर्चा का विषय बन जाता है। लेकिन जब लिखते हैं तो उसकी चर्चा और ज्यादा बड़े कैनवास पर होने लगती है। इस बार उन्होंने एक जन समस्या पर आवाज बुलंद की है जिस पर ट्रिपल इंजन सरकार से ताल्लुक रखने वाले जन प्रतिनिधि पार्टी के प्रति अनिवार्य निष्ठा के चलते चुप्पी तान कर गहरी नींद सोए हुए हैं। जनता धक्के खा रही है और कोई सुनने वाला नहीं बचा है।
अब पारस जी भाई साहब ने इस मुद्दे पर चप्पी तोड़ी है तो वो चर्चा का विषय बन गई है। वैसे भी एलिवेटेड रोड के मुद्दे पर पारसजी भाई साहब की कही बातें आज तक गूंज रही है। अब नई बातों की गूंज कहां तक जाएगी व किस-किस को हर्ट करते हुए क्या सिस्टम में सुधार करेगी यह देखनी वाली बात होगी। क्या उनकी चिट्ठी से सड़कों पर ‘‘सुधार के गुलाब’’ खिला पाएंगे या फिर दिन में ‘‘तारे’’ देखने वाली जनता को राहत मिल पाएगी? ‘सड़क सितारों से सज जाएगी क्या? यह देखना दिलचस्प होगा। वैसे भी उदयपुर में जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने बिजली, सड़क पानी जैसे मुद्दों पर आम जन की बातें सुनना बरसों से बंद कर दिया है। ऐसे में पारसजी भाई साहब जो खुद सत्ता प्रतिष्ठान वाली पार्टी के अभिन्न अंग हैं, उनकी बातों का क्या असर होगा भी या नहीं, यह भी लोग जानना चाहेंगे।
अब चर्चा करते हैं कि पारसजी भाई साहब ने आखिर क्या लिखा नगर निगम के आयुक्त को
उन्होंने नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना को लिखा- रेलवे स्टेशन से उदयापोल बस स्टैंड तक बन रही एलिवेटेड रोड परियोजना शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। टूटी सड़कों, धूल-मिट्टी, अव्यवस्थित यातायात और लगातार जाम की स्थिति है। निर्माण कार्य के कारण सड़कें जगह-जगह से टूट चुकी हैं। धूल और प्रदूषण से नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। पैदल चलना बेहद कठिन हो गया है। यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, रोजाना जाम लगता है। बरसात में जलभराव से दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है। उन्होंने लिखा कि परियोजना शहर के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन निर्माण के दौरान सुरक्षा, सफाई और यातायात प्रबंधन की अनदेखी चिंता का विषय है।
बड़ा सवालः चिट्ठी लिखने की नौबत क्यों आई?
सवाल यह उठ रहा है कि उदयपुर नगर निगम और संबंधित विभागों की जिम्मेदारी होते हुए भी यह स्थिति बनी क्यों रही? जनता की समस्या सीधे देखने के बावजूद अधिकारी सक्रिय क्यों नहीं हुए? किसकी चाटुकारिता कर रहे हैं, कहां से आदेश निर्देश ले रहे हैं। आखिरकार, एक निवर्तमान उप महापौर को निगम आयुक्त को पत्र लिखकर ध्यान क्यों दिलाना पड़ा? क्या यह सिस्टम का फेल्योर है।
जनता की राहत प्राथमिकता हो
सिंघवी ने मांग की है कि निगम आयुक्त तत्काल विभागों को निर्देशित करें ताकि सड़कों की मरम्मत, सफाई और यातायात प्रबंधन सुनिश्चित हो सके और जनता को राहत मिले।
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