24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। 🔌 ”करंटोलॉजिस्ट” फिर बेनकाब: वही कूलर, वही करंट, फिर एक हादसा टला-करंट के सौदागर याने के ‘करंटोलॉजिस्ट’ का छिपाया सच गुरूवार को एक बार फिर सामने आ गया। वही वाटर कूलर जिससे डाक्टर रवि शर्मा की मौत हो गई थी। उसमें फिर से करंट आया। मगर अबकी बार धरती के भगवान को दुनिया के रखवाले ने यमदूत से बचा लिया। इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। गुस्सा फूट पड़ा। ऑन कैमरा जब जांच हुई तो टेस्टर ने करंटोलॉजिस्ट और उनकी पूरी लॉबी को बेनकाब कर दिया। वाटर कूलर में करंट, स्विच बोर्ड में करंट, जगह-जगह करंट। सुबूत चीख चीख कर कहने लगे तो बौखलाहट फैल गई। मौके पर बड़े व चुभते हुए सवालों का हाई वोल्टेज करंट फैल गया, जवाब मांगे जाने लगे।


🔧 स्विचबोर्ड उखाड़ने वाला महापराक्रमी वार्डन ?

तभी अचानक मौके पर प्रकट हुए निलंबित महापराक्रमी वार्डन ने करंट वाला स्विच बोर्ड ही उखाड़ दिया। सोचा कि ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसूरी। उनको किसने भेजा यह जांच और पनिशमेंट का विषय है। आरोप है कि वे तरल पदार्थ वाली अवस्था में तशरीफ लाए थे।


🧨 बेकाबू गुस्सा और ‘फेविकॉल वाली कुर्सियां’

इसके बाद तो गुस्सा बेकाबु हो गया। मौके पर ही कचहरी लग गई। हंगामे की बीच उनका भी पगफेरा हुआ जो अपनी एप्रोच का फेविकॉल लगा कर कुर्सी से चिपके हुए हैं। वे भी जिन पर रेजिडेंट की हड़ताल को खत्म करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाने का आरोप है। सबने मिलकर सुबूतों के वीडियो दर्शन किए, उसके बाद ऐलान किया कि जांच होनी चाहिए। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत महसूस के गई। उनकी सिम्पेथी वाली नौटंकी ज्यादा नहीं चली व स्टूडेंट्स के बढ़ते गुस्से व तर्कों के आगे पूरी बिसात ही ध्वस्त हो गई।


🚨 करंट के सवालों के बदले छावनी में बदला हॉस्टल

मगर हुआ क्या? पुलिस बुला ली गई। करंट वाला हॉस्टल छावनी बन गया। मांग तो न्याय दिलाने की थी, मगर किसी ने मसल पावर तो किसी ने अपनी एप्रोच का जलवा दिखा दिया। इतने हंगामे के बीच ना कोई जनप्रतिनिधि आया ना कोई प्रशासनिक अधिकारी। शायद आज दोनों को नींद जल्दी लग गई।


💸 भ्रष्टाचार का करंट सिस्टम और ‘बियोंड इमेजिनेशन’ RNT

भाई माना कि पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार तगड़ा है। बरसों से लेन देन के सिलसिले चल रहे हैं। खाओ खिलाओ सिस्टम हम सबको शॉकिंग ट्रीटमेंट दे रहा है। लेकिन आरएनटी में तो हद हो गई है। बियोंड इमेजिनेशन बातें हो रही हैं। सभी लक्ष्मण रेखाएं ही नहीं, सभी हदें पार की जा चुकी हैं। अब भी अगर चिकित्सा मंत्री ने खुद मामले में संज्ञान नहीं लिया तो स्थितियों का और बिगड़ना लगभग तय दिख रहा है।


फिर हुआ करंट अटैक: एक और छात्र बाल-बाल बचा

अब आते हैं आज की खबर पर, बताते हैं कि आखिर हुआ क्या था।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के दिलशाद भवन हॉस्टल में करंट से हुई डॉक्टर रवि शर्मा की दर्दनाक मौत के आठ दिन बाद शुक्रवार शाम फिर उसी स्थान पर एक और छात्र डॉक्टर करंट की चपेट में आ गया। घटना के बाद हॉस्टल में अफरा-तफरी मच गई। एक बार फिर कॉलेज प्रशासन और एमबी अस्पताल प्रशासन ने आंखें मूंद ली। छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा, उन्होंने इसे अंधेरगर्दी और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा बताया।


🧪 जांच में फिर करंट की पुष्टि: छात्र खुद बने व्हीसल ब्लोअर

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे जब एक अन्य अध्ययनरत डाक्टर उसी कूलर से पानी भरने गए तो तेज करंट का झटका लगा। सूचना मिलते ही अन्य डॉक्टर मौके पर पहुंचे और टेस्टर से जांच की। जांच में साफ हुआ कि स्विच बंद होने के बावजूद कूलर और उसके आसपास के सभी लोहे के उपकरणों में तीव्र करंट प्रवाहित हो रहा था। यहां तक कि टॉयलेट तक में करंट पाया गया। इस पर अनहोनी से दूसरों को बचाने के लिए छात्रों ने स्वयं कूलर पर अपनी जान पर खेल कर चेतावनी का संदेश चिपकाया व लिखा कि कोई कूलर को न छुए, करंट आ रहा है।


🧑‍⚖️ प्रशासन नहीं, पुलिस आई — छात्रों पर दबाव का आरोप

घटना की गंभीरता को देखते हुए विद्युत विभाग के एईएन, हाथीपोल थाना पुलिस व सीआई मौके पर पहुंचे। छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल में करंट फैलने जैसी आपात स्थिति में प्रशासनिक अधिकारी खुद आने के बजाय पुलिस बल भेज रहे हैं, ताकि छात्रों पर दबाव बनाया जा सके।


🛠️ वार्डन की संदिग्ध हरकतें: सुरक्षा तोड़ी, साक्ष्य मिटाया

इसी बीच, निलंबित चीफ वार्डन डॉ नरेन्द्र बंसल जिन्हें वहां आने की अनुमति तक नहीं थी, मौके पर पहुंचे। बिजली निगम के कार्मिकों व अफसरों की जांच में पुलिस और छात्रों के सामने कूलर में करंट की पुष्टि हो गई। मगर इसके तुरंत बाद डाक्टर बंसल ने सुरक्षा रस्सी को तोड़कर स्विचबोर्ड को उखाड़ दिया। साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया। इस हरकत के बाद छात्रों ने जबर्दस्त विरोध किया। उनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। पुलिस ने डॉ. बंसल को घेरे में लेकर बचाया।


🍷 ‘गंध’ ने किया शक पैदा: मेडिकल जांच की मांग

घटना के वक्त डॉ. बंसल के मुंह से एक ऐसी गंध आने की बात सामने आई जो आम तौर पर किसी तरल पदार्थ को पीने से आती है। छात्रों ने मौके पर ही बसंल साहब की मेडिकल जांच की मांग की। तत्काल ब्लड सैंपल लिया गया और ब्रीथ एनालाइज़र मंगवाकर जांच की गई। मौके पर ही छात्रों ने यह भी मांग रखी कि इस सेंपल की जांच को केवल सरकारी स्तर पर नहीं बल्कि स्वतंत्र निजी लैब्स से भी कराया जाए।


📢 प्रिंसिपल और अधीक्षक का औपचारिक बयान, छात्रों का गुस्सा दुगुना

इसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल और अस्पताल अधीक्षक साहब मौके पर आए। उन्होंने केवल औपचारिक बयान दिया कि “जांच करवाई जाएगी“, जिससे छात्रों का आक्रोश और भड़क गया।


🧯 बिगड़ती स्थिति, बढ़ती फोर्स और छात्रों के सुलगते सवाल

स्थिति बिगड़ती देख हॉस्टल में भारी पुलिस बल बुला लिया गया। चार थानों की पुलिस और अतिरिक्त जाप्ता तैनात हुआ। छात्रों ने बताया कि पूरी बिल्डिंग में करंट फैला हुआ है, यहां तक कि एमसीबी के डिब्बों तक में करंट प्रवाहित हो रहा है। इतना होने पर भी बजाय तुरंत एक्शन लेने के, प्रिंसिपल साहब ने कहा कि बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाए।


🧱 गिरता प्लास्टर और गिरता प्रशासन: आरएनटी की तस्वीर

आपको बता दें कि इससे पहले दिन में भी आरएनटी के हॉस्टल में प्लास्टर गिरा था जिसने खुलेआम भ्रष्टाचार और भारी अव्यवस्थाओं की की पोल खोल दी।


🚫 रेस्टिगेशन की धमकी और छात्रों का पलटवार

इधर, प्रिंसिपल साहब जब बात कर रहे थे तो एक छात्र ने आक्रोशित होकर ‘वो वाली’ लेंग्वेज में ताना दे दिया। प्रिंसिपल साहब भड़क गए, बोले कि किसने कहा?? रेस्टिगेट करने की धमकी दे डाली। इस पर छात्रों ने सवाल उठाया कि एक शब्द पर तो आपको इतना गुस्सा आ गया, मगर जब हमारा साथी करंट से मर गया तब आप शांत क्यों थे?


📽️ विडियो सबूतों के बावजूद जिम्मेदारी तय नहीं!

प्रशासनिक रवैये से निराश छात्रों ने पूछा कि आखिर इतने स्पष्ट वीडियो, साक्ष्य और प्रत्यक्षदर्शियों के बावजूद किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही है? छा़त्रों के लिखित में बार-बार मांगने पर भी यह नहीं दिया गया कि मौके पर आज करंट फैला हुआ है। डॉ. बंसल की मेडिकल जांच पर प्रिंसिपल का हास्यास्पद तर्क था कि बिना एफआईआर जांच संभव नहीं।


🔊 रेजिडेंट्स की चेतावनी: अब और नहीं सहेंगे

रेजिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. दीपेंद्र सिंह व अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि जाग जाइये नहीं तो हमारे कुछ साथ करंट से मरेंगे नहीं तो कुछ यूं ही लडाइयों में मरेंगे। उन्होंने मेडिकल फर्टिनिटी, डाक्टर्स, अन्य रेजिडेंट एसोसिएशन आदि से आहवान किया कि जाग जाइये नहीं तो हम यूं ही मरते रहेंगे। अब हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो साथ देगा वो ही जाएगा। बहोत हो चुका, हमने बहुत सुन लिया, अब तो बख्या ही नहीं जाएगा।


⚖️ बदइंतजामी की मिसाल: देश में दुर्लभ प्रशासनिक लापरवाही

यह पूरी घटना गैरजिम्मेदाराना प्रशासनिक रवैये का बरसों तक याद किया जाने वाला और नजीर बन जाने वाला उदाहरण है।


🧑‍🎓 छात्रों का दर्द: ना सुरक्षा, ना संवेदना

छात्रों का कहना है कि लाखों रुपए खर्च कर वे अपने घरों से दूर आकर इस संस्थान में पढ़ाई करने आए हैं, मगर उन्हें सुरक्षा, स्वच्छता और संवेदना तक उपलब्ध नहीं है।


🌐 सोशल मीडिया पर बदनामी, कॉलेज प्रशासन ने धूल में मिला दी प्रतिष्ठा

इस बीच सबसे बुरी बात हुई कि सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में शेयर किए गए वीडियो ने कॉलेज प्रशासन की पोल खोल कर रख दी। पूरी तरह से बेनकाब करने वाले वीडियो से आरएनटी की वर्षों पुरानी प्रतिष्ठा को धूल में मिला दिया। लोग सोचने पर मजबूर हो गए आखिर हम ऐसी जगह पर अपने बच्चों को पढ़ने क्यों भेजें? मौत के मुंह में क्यों भेजें?


अब चुप्पी नहीं चलेगी: जवाबदेही और न्याय जरूरी

अब यदि दोषियों को सजा नहीं दी गई, तो यह संदेश जाएगा कि छात्र जीवन और जान की कोई कीमत नहीं। सवाल यह है कि चिकित्सा मंत्री कहां हैं? प्रशासनिक अधिकारी कहां हैं? और क्यों अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया? यह महज एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित लापरवाही है, जिसके लिए पूरे सिस्टम को जवाबदेह बनाना व सख्त सजा देना जरूरी है। अब तो न्याय केवल होना ही नहीं बल्कि होते हुए दिखना भी जरूरी हैं।

morning update
मौत के कुएं में रह रहे रेजिडेंट, पानी तक करंट वाला

देर रात करीब 4.30 बजे दिलशाद भवन के पीजी हॉस्टल में 4th फ्लोर पर भी करंट देखा गया। जिसकी जांच हॉस्टल के गार्ड को बुलाकर की गई और करंट की पुष्टि की गई। ये वही वाटर कूलर है, जिस से डॉ रवि शर्मा की करंट लगने से मृत्यु हुई थी। कॉलेज प्रशासन का कहना था के वाटर कूलर को ठीक करा दिया गया था। फिर ये करंट अभी भी कैसे आ रहा है। कौन है अब इसका जिम्मेदार? मौत के कुएं में रह रहे है रेजिडेंट डॉक्टर्स। पल पल जान जाने का खतरा बना हुआ है। अब ऐसे में ये प्रशासन की लापरवाही नहीं है तो क्या है? जो लोग प्रशासन को ऐसे में जिम्मेदार नहीं मानते, वो जवाब दे के क्या वो हमारी जिंदगी और मौत की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है??

चौथे फ्लोर पर भी गीजर, नल और कूलर में करंट

पूरे हॉस्टल परिसर में पीने के पानी में करंट आ रहा है। कॉलेज प्रशासन द्वारा इसके बावजूद पीने का पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है। सभी उपकरणों में करंट आ रहा है। ऐसे में रेजिडेंट डॉक्टर्स के हॉस्टल को खाली कर के विस्थापित किया जाना चाहिए पर प्रशासन तो लीपा पोती में व्यस्त है।
डॉ. जतिन ने कहा- कॉलेज प्रशासन ने कहा था कि वाटर कूलर को ठीक करा दिया गया था। फिर ये करंट अभी भी कैसे आ रहा है? कौन है इसका जिम्मेदार? रेजिडेंट डॉक्टर मौत के कुएं में रह रहे हैं। पल-पल जान जाने का खतरा बना हुआ है। अब ऐसे में ये प्रशासन की लापरवाही नहीं है तो क्या है? जो लोग कॉलेज प्रशासन को जिम्मेदार नहीं मानते, वो जवाब दें कि क्या वो हमारी जिंदगी और मौत की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है?
हॉस्टल में 600 रेडिजेंट डॉक्टर रह रहे हैं जो बाहर से लाकर पानी पी रहे हैं। बता दें कि 18 जून बुधवार की रात वाटर कूलर से पानी भरते हुए उदयपुर के वाटर कूलर से पानी भरते हुए RNT मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर रवि शर्मा की मौत हो गई थी।
रेजिडेंट यूनियन के पूर्व सचिव डॉ जतिन प्रजापति ने बताया- मैं शुक्रवार सुबह 4.30 बजे डॉक्टर चौथे फ्लोर पर पानी पीने गया था। यहां पानी पीने से पहले मैंने गार्ड को बुलाकर वाटर कूलर को चेक करने को कहा। इसी कूलर से डॉक्टर रवि शर्मा को करंट आया था। गार्ड ने आकर चेक किया तो वाटर कूलर में करंट आ रहा था। इतना ही नहीं बल्कि चौथे फ्लोर के गीजर और नल में भी करंट आ रहा था।

करंट से उठते सवाल — कौन देगा जवाब?

  1. एक डॉक्टर की मौत के बाद भी वही कूलर, वही करंट — आखिर किसकी लापरवाही थी यह?
  2. यदि जांच कैमरे के सामने टेस्टर से करंट मिला, तो पहले की गई जांचों ने क्या साबित किया था? क्या पहले भी सबूत छुपाए गए थे?
  3. जो वार्डन स्विचबोर्ड उखाड़ रहा था, वह वहां किसके कहने पर पहुंचा और क्यों? क्या वह सबूत मिटाने भेजा गया था?
  4. छात्रों का दावा है कि वार्डन ‘तरल पदार्थ’ वाली स्थिति में थे—क्या उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया? रिपोर्ट कहां है?
  5. एक डॉक्टर की मौत पर प्रशासन शांत क्यों रहा, लेकिन छात्रों की तीखी प्रतिक्रिया पर ‘रेस्टिगेशन’ की धमकी क्यों दी गई?
  6. इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी दोषियों पर अब तक कोई एफआईआर क्यों नहीं हुई? कौन बचा रहा है इन्हें?
  7. जब पूरे हॉस्टल में करंट फैला मिला, तो इसे तकनीकी चूक क्यों कहा जा रहा है? क्या यह आपराधिक लापरवाही नहीं है?
  8. विद्युत विभाग ने कितनी बार परिसर की जांच की? अगर की, तो करंट कैसे बार-बार लौट आया?
  9. क्या मेडिकल छात्रों की जान इतनी सस्ती है कि जांच के नाम पर केवल बयानबाज़ी हो और कार्रवाई शून्य रहे?
  10. आखिर कितनी मौतें और चाहिए, इस ‘करंट सिस्टम’ को सुधारने के लिए?

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By desk 24newsupdate

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