रिपोर्ट -जयवंत भैरविया
24 news Update उदयपुर। मानवाधिकारों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट और राज्य मानवाधिकार आयोग के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद उदयपुर पुलिस ने आदेशों की गंभीर अनदेखी की है। सूचना के अधिकार (RTI) से सामने आया है कि दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 तक राज्य मानवाधिकार आयोग को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट उदयपुर पुलिस की ओर से प्राप्त ही नहीं हुई।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
वर्ष 2001 में डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस हिरासत में मानवाधिकार उल्लंघन रोकने और गिरफ्तार व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 11 बिंदुओं पर आधारित दिशा-निर्देश जारी किए थे।
इनमें गिरफ्तारी का मेमो तैयार करना, गिरफ्तारी की सूचना परिवार को देना, हिरासत में हर 48 घंटे में मेडिकल जांच, पुलिसकर्मियों की स्पष्ट पहचान, हिरासत डायरी में प्रविष्टियां, वकील से मिलने का अधिकार और पुलिस नियंत्रण कक्षों में सूचना उपलब्ध कराने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
आयोग ने किया था आदेश
राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने वर्ष 2005 में तत्कालीन डीजीपी ए.एस. गिल को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों की नियमित निगरानी और मासिक रिपोर्ट आयोग को भेजने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (अपराध शाखा) जयपुर ने सभी आईजी और जिला पुलिस अधीक्षकों को 28 सितंबर 2005 को स्पष्ट आदेश भी जारी किए थे कि वे हर माह रिपोर्ट आयोग को भेजें और उसकी प्रति मुख्यालय को भी उपलब्ध कराएं।

उदयपुर पुलिस की लापरवाही
RTI के जरिए मिली जानकारी के अनुसार उदयपुर पुलिस ने इन आदेशों की पालना रिपोर्ट आयोग को भेजना बंद कर दिया है।
न तो 2024 के अंत में और न ही जनवरी 2025 में आयोग को रिपोर्ट भेजी गई। यानी बीते लंबे समय से उदयपुर पुलिस सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइन का खुला उल्लंघन कर रही है।
गंभीर सवाल
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि हिरासत में होने वाली मौतों और पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल पहले से ही उठते रहे हैं। ऐसे में उदयपुर पुलिस द्वारा रिपोर्ट तक नहीं भेजना इस बात का संकेत है कि न तो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान हो रहा है और न ही आयोग की निगरानी का पालन।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.