“भारतीय ज्ञान परंपरा विश्व में अद्भुत है, इसे आने वाली पीढ़ी तक सहेजकर पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी : कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत
24 News Update उदयपुर, 9 अक्टूबर। राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बुधवार को ‘भारतीय ज्ञान तंत्र’ आधारित ड्रामा, आर्ट एंड एस्थेटिक्स प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इस प्रदर्शनी में परंपरा, विज्ञान और अध्यात्म के अद्भुत समन्वय की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यापीठ के कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन और डॉ. अमी राठौड़ ने फीता काटकर किया।
प्रदर्शनी में बी.ए.-बी.एड. एवं बी.एससी.-बी.एड. विभाग के चतुर्थ वर्ष के छात्र-अध्यापकों ने अपने रचनात्मक कार्यों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, विज्ञान और अध्यात्म के गहरे संबंध को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। प्रदर्शनी में अष्टांग योग, मूल चक्र, पंचांग तिथि, तिलक के प्रकार और उनके प्रभाव, वेद चिन्ह, ओम् का महत्व, स्वस्तिक निर्माण पद्धति, दस महाविद्या एवं सोलह संस्कार जैसे विषयों को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दर्शाया गया।
विद्यार्थियों ने मंडला आर्ट, क्विलिंग आर्ट, मिरर वर्क और हैंडमेड आर्टवर्क के माध्यम से भारतीय सौंदर्यबोध की परंपरा को भी सजीव किया। वहीं, पर्यावरण संरक्षण के संदेश को साकार करते हुए छात्रों ने कॉटन बैग्स पर हस्तनिर्मित चित्रांकन कर “पर्यावरण बचाओ” का संदेश दिया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि “भारतीय ज्ञान परंपरा विश्व में अद्भुत है, इसे आने वाली पीढ़ी तक सहेजकर पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में सृजनात्मकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक चेतना का विकास करते हैं।” प्रदर्शनी का संयोजन डॉ. इंदु बाला आचार्य एवं डॉ. लक्ष्मण रेवाड़ी के निर्देशन में विद्यार्थियों के सहयोग से किया गया।
इस अवसर पर डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. नीतू व्यास, डॉ. रजनी धाबाई, डॉ. अनुपम सुथार, डॉ. उषा शर्मा, नरपत सिंह चुंडावत, भारत कुशवाहा, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, यशवंत राव, महेशचंद्र पालीवाल और सवाराम डांगी सहित अनेक अकादमिक सदस्य उपस्थित रहे।

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