“भारतीय संस्कृति में नारी केवल पूजनीय नहीं, सृजनशील शक्ति है” – दिया कुमारी
24 News Update उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में ‘भारतीय चिंतन में महिला’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ राजस्थान सरकार की डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का इतिहास विदुषी एवं सशक्त महिलाओं से भरा है, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रज्ञा का परिचय दिया। उन्होंने कहा, “नारी केवल पूजनीय नहीं, बल्कि सृजन, ज्ञान और चेतना का स्रोत है। वर्तमान पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, मूल्यों और परंपराओं से जोड़ना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।”

डिप्टी सीएम ने कहा कि आधुनिकता के नाम पर भारतीय मूल्यों से दूर हो रही पीढ़ी को फिर से भारतीय संस्कृति, धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर से जोड़ने का प्रयास करना होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संस्कृति संरक्षण और सनातन परंपराओं को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की।
कुलपति का संबोधन:
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि भारतीय दर्शन में महिलाओं को केवल पूजा का विषय नहीं, बल्कि श्रुति, स्तुति, काव्य और तर्क के रूप में सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपराएं प्रगतिशील रही हैं और हर युग में महिलाओं की भूमिका को उच्च स्थान दिया गया है।
मुख्य वक्ताओं के विचार:
अखिल भारतीय प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे. नंद कुमार ने कहा कि भारत ने अनेक आक्रांताओं का सामना किया, लेकिन भारतीय संस्कृति और मनीषा ने उन्हें आत्मसात कर लिया। पश्चिमी विचारधारा ने भारतीय महिला की भूमिका को विकृत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया, जबकि भारतीय दर्शन सदैव शक्ति को केंद्र में रखता है।
वक्ता डॉ. कमलेश शर्मा ने कहा कि भारतीय चिंतन में समग्र सृष्टि को एकात्म दृष्टि से देखा गया है, जबकि पश्चिमी विचारधारा भौतिक सुख और स्वार्थ के कारण प्रकृति से दूरी बनाती है।

अध्यक्षीय उद्बोधन:
कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने मीराबाई, पन्नाधाय, झांसी की रानी, कस्तूरबा गांधी, सरोजिनी नायडू और इंदिरा गांधी जैसी ऐतिहासिक महिलाओं का उल्लेख कर भारतीय चिंतन में महिला की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में महिलाओं को हमेशा नेतृत्व और सम्मान का स्थान मिला है।
संगोष्ठी में व्यापक भागीदारी:
आयोजन सचिव डॉ. शिवानी स्वर्णकार ने बताया कि संगोष्ठी में 150 ऑफलाइन और 250 से अधिक ऑनलाइन प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
समापन सत्र में पेसिफिक विश्वविद्यालय समूह के अध्यक्ष प्रो. भगवतीलाल शर्मा, उच्च न्यायालय अधिवक्ता डॉ. मोनिका अरोड़ा, अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ. प्रवीण खंडेलवाल सहित कई प्रख्यात शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने भारतीय महिला के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और कानूनी संदर्भों पर विचार साझा किए।

पुस्तक का विमोचन:
कार्यक्रम में “भारतीय चिंतन में महिला” तथा कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत और डॉ. चंद्रेश छतलानी द्वारा लिखित “पायथन प्रोग्रामिंग” पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
मंच संचालन और उपस्थितगण:
संगोष्ठी का संचालन डॉ. श्रुति टंडन ने किया तथा आभार आयोजन सचिव डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने व्यक्त किया। इस अवसर पर विद्या प्रचारिणी सभा मंत्री प्रो. महेंद्र सिंह आगरिया, डॉ. अलका मुंदड़ा, कवि अजात शत्रु, डॉ. तरुण श्रीमाली, डॉ. पारस जैन, प्रो. मंजू मांडोत, डॉ. धर्मेंद्र राजौरा, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, एडवोकेट अशोक सिंघवी सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक, शिक्षाविद और विद्यापीठ परिवार के सदस्य मौजूद रहे।
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