- संचार क्रांति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर विशेषज्ञों ने रखे विचार
24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से गुरुवार को ‘एक्सप्लोरिंग द इवॉल्विंग रोल ऑफ कम्युनिकेशन इन मॉडर्न सोसायटी’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में हुआ।
मुख्य अतिथि प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कृ तकनीक जरूरी, पर विश्वसनीयता पहली शर्त
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कृ
“हमारे सनातन में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। वैदिक काल से लेकर आज तक शब्दों की शक्ति सर्वत्र व्याप्त है। आज के युग में संचार माध्यमों का प्रभाव आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हर क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है। नई तकनीकों के बढ़ते उपयोग ने एक संचार क्रांति उत्पन्न की है, जिसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू सामने आ रहे हैं। आधुनिक सूचना साधनों का उपयोग सावधानी और संयम के साथ करना जरूरी है। तथ्य की विश्वसनीयता और वैधता आज की सबसे बड़ी जरूरत है।“
उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव शिक्षा, समाज, राजनीति, चिकित्सा, पर्यावरण सहित सभी क्षेत्रों में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। देश के 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के 65þ युवा सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। भारत में जहां युवा प्रतिदिन औसतन 3-4 घंटे सोशल मीडिया पर व्यतीत करते हैं, वहीं जापान में यह औसत केवल 45 मिनट है। इसके दुष्परिणाम अवसाद, एकाग्रता में कमी और सहनशीलता में गिरावट के रूप में सामने आ रहे हैं।
कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कृ युवाओं को सही दिशा देना जरूरी
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि आज हर क्षेत्र में संचार माध्यमों का उपयोग बढ़ रहा है। इसके साथ ही कमियां और दुष्प्रभाव भी तेज़ी से उभर रहे हैं। सोशल मीडिया का युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ।प् और डिजिटलीकरण के दौर में शिक्षित-अशिक्षित दोनों वर्गों पर इसके प्रभावों का अध्ययन व समाधान भी जरूरी है।
70 शोध पत्र, 150 प्रतिभागी और 5 तकनीकी सत्र
प्रारंभ में प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ. अमी राठौड़ ने सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसमें देश के 8 राज्यों कृ नासिक, देहरादून, अलवर, बैंगलोर, भोपाल, नवसारी, जोधपुर, हिसार से आए 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और 70 शोध पत्रों का वाचन किया गया। सेमिनार में पांच तकनीकी सत्र आयोजित हुए, जिनमें प्रो. परितोष दुग्गड़, प्रो. सीमा मलिक, प्रो. जीएम मेहता, प्रो. मंजू मांडोत ने विभिन्न सत्रों का संचालन कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की और शोधपत्र प्रस्तुतकर्ताओं की प्रस्तुति का सूक्ष्म निरीक्षण किया।
कार्यक्रम संचालन व आभार
कार्यक्रम का संचालन डॉ. इंदू बाला आचार्य ने किया, वहीं आभार डॉ. बलिदान जैन ने व्यक्त किया।
सेमिनार में इनकी रही सहभागिता
इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. भूरालाल शर्मा, डॉ. सरिता मेनारिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. नीतू व्यास, डॉ. रजनी धायभाई, डॉ. उषा शर्मा, डॉ. हिम्मत सिंह चूंडावत, डॉ. हरिश मेनारिया, डॉ. हरीश चौबीसा सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर, स्कॉलर्स और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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