24 News Update नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित होगा। इस बात की घोषणा बुधवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने की। उन्होंने कहा कि सरकार नियमों के तहत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है।इस सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी चर्चा में आ सकता है — इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियो ग प्रस्ताव। रिजिजू ने कहा कि यह प्रस्ताव न्यायपालिका में पारदर्शिता और शुचिता बनाए रखने के दृष्टिकोण से अत्यंत अहम है। रिजिजू ने कहा कि अगर विपक्ष नियमों के अनुरूप चर्चा की मांग करता है तो पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील विषयों पर भी सरकार खुली चर्चा के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि विपक्ष ने इन मुद्दों के साथ-साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता बयान पर भी चर्चा की मांग की थी। विपक्षी INDIA गठबंधन के 17 दलों ने 3 जून को नई दिल्ली में बैठक कर प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजा, जिसमें संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी।
महाभियोग प्रस्ताव पर रिजिजू का बयान — “राजनीति नहीं, एकता जरूरी”
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव को लेकर रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह मामला न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है, न कि किसी राजनीतिक उद्देश्य से। उन्होंने कहा, “यह ऐसा विषय है जिस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सभी दलों को एकजुट होकर संसद में इस पर विमर्श करना चाहिए।” रिजिजू ने यह भी बताया कि वे इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से संवाद कर रहे हैं, ताकि प्रस्ताव पर आम सहमति बन सके।
TMC का पलटवार — “सरकार को संसद से डर लगता है”
सत्र की तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार संसद से भाग रही है और उन्होंने इसे “Parliamentophobia” की संज्ञा दी। ओ’ब्रायन ने आरोप लगाया कि सरकार संसद की खुली बहस और जवाबदेही से बचना चाहती है।
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