24 News Update उदयपुर/जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर स्थित मुरलीवाला एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के मामले में आयकर विभाग द्वारा जारी ट्रांसफर ऑर्डर को दूसरी बार अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। चीफ जस्टिस के.आर. श्रीराम और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने आयकर विभाग की कार्रवाई को ‘अड़ियल और मनमाना’ बताते हुए कहा कि करदाता को सुनवाई का पूरा अवसर देना अनिवार्य है।
मामला और याचिका
कंपनी के निदेशक राकेश गुप्ता की ओर से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 127 के तहत ट्रांसफर ऑर्डर को चुनौती दी गई थी। यह मामला दूसरी बार अदालत में आया है। पहले भी कंपनी ने 21 नवंबर 2019 को जारी आदेश को चुनौती दी थी, जिसे 20 जुलाई 2022 को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। उस दौरान अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि यदि विभाग पुनः ट्रांसफर करना चाहता है, तो पहले करदाता को सुनवाई का अवसर देना आवश्यक है।
विभाग का रवैया और कोर्ट की टिप्पणी
हालांकि, 19 अक्टूबर 2022 को विभाग ने पुराने आधार पर ट्रांसफर ऑर्डर दोबारा जारी कर दिया। कोर्ट ने इसे न्यायसंगत नहीं, बल्कि मनमाना बताया। जस्टिस चिरानिया ने कहा कि विभाग ने करदाता को “शटलकॉक” बनाने का प्रयास किया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया।
केस का लंबित इतिहास
इस मामले में ट्रांसफर का आधार यह था कि 27 नवंबर 2017 को ब्रिंदावन ग्रुप पर कार्रवाई की गई थी। उसी सिलसिले में मुरलीवाला एग्रोटेक की जांच भी हुई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि ब्रिंदावन ग्रुप का असेसमेंट दिसंबर 2019 में पूरा हो चुका था, इसलिए केस को दिल्ली ट्रांसफर करने का कोई वैध कारण नहीं बचा। यह मामला छह साल से लंबित था।
कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के 19 अक्टूबर 2022 के ट्रांसफर ऑर्डर को रद्द करते हुए कहा कि विभाग 21 नवंबर 2019 और 19 अक्टूबर 2022 से पहले की स्थिति में कार्रवाई को आगे बढ़ा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिका के विचार के दौरान करदाता के खिलाफ कोई भी प्रतिकूल आदेश अवैध रहेगा। साथ ही, आयकर विभाग के अधिकार और दावे सुरक्षित रहेंगे।
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