24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। राणा सांगा की जयंति पर भरतपुर जिले के खानुआ स्थित ऐतिहासिक युद्ध स्मारक स्थल पर राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण की ओर से पहली बार शहीदों को श्रद्धांजलि एवं महाराणा सांगा व बाबर के मध्य हुए युद्ध में शहीद हुए राजा महाराजाओं के वंशजों का सम्मान समारेह का आयोजन किया गया। समारोह में भावी पीढ़ी के लिए प्रेरक कार्यक्रम आयोजित किए जायेगे। समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के गृहराज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने युद्ध स्थर पर बने द्वार का फीता काटकर शुभारंभ किया। समारोह से पुर्व युद्ध में शहीद हुए राजा महाराओं के वंशजों एवं आमजन से सांगा की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। समारोह में खानुआ युद्ध के दौरान शहीद हुए रावत जोगा कानोड़ के वंशज राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने शिरकत की। समारोह में राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म, राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत , महेन्द्र सिंह मग्गों ने प्रो. सारंगदेवोत, उपरणा, साफा, प्रशस्ति पत्र एवं तलवार भेंट कर सम्मान किया गया।
समारोह में राज्यमंत्री बेढ़म ने कहा कि महाराणा सांगा ने देश, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए भारतवर्ष के सभी राजा महाराजाओं को एक करते हुए खानुआ के युद्ध में अदम्य साहस एवं शौर्य का प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि महाराणा सांगा ने 100 युद्ध लड़े जिनमें से 99 में विजय प्राप्त की तथा खातौली बयाना के युद्धों में विदेशी आक्रांताओं को धूल चटाने का कार्य किया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने खानुआ युद्ध स्मारक के विकास के लिए 03 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की है जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र का विकास कर डिजीटल तकनीकी के साथ युवाओं को प्रेरणादायक जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि महाराणा सांगा के वैचारिक एवं शरीरिक वंशज आज भी जीवित है। उन्होंने खानुआ युद्ध में भाग लेने वाले वीर शहीदों के वंशजों को पहली बार मंच पर एक साथ सम्मान का ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि अब इस स्मारक पर प्रत्येक शहीद के नाम पर एक कार्यक्रम किए जायेंगे।
इस अवसर पर रावत जोगा कानोड़ के वंशज कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि खानवा के युद्ध का प्रसंग केवल एक युद्ध की कहानी नहीं, बल्कि शौर्य, आत्म बलिदान, और मातृ भूमि के लिए मर-मिटने वाले वीरों की प्रेरणादायक गाथा है। इस युद्ध में अद्वितीय वीरता दिखाने वाले राजपूतों का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। इतिहास की धड़कनों में कुछ नाम ऐसे हैं जो युगों तक प्रेरणा बनकर गूंजते हैं- महाराणा प्रताप की वीरता, रानी पद्मिनी की मर्यादा, और मीरा बाई की भक्ति। ये केवल नाम नहीं, भारतीय आत्मा के उन दिव्य स्तंभों के प्रतीक हैं, जिन्होंने जीवन को केवल जिया नहीं, बल्कि उसे राष्ट्र, धर्म और आत्मगौरव के लिए समर्पित किया। इन्हीं शौर्यगाथाओं की श्रृंखला में एक नाम और भी अनंत तेजस्विता के साथ उभरता है – महाराणा संग्राम सिंह अर्थात राणा सांगा का। राणा सांगा उस परंपरा के प्रतिनिधि थे जिसमें आत्मबल ही सबसे बड़ी सत्ता थी, और जिसके कारण आज भी हम भारतीय होने पर गर्व कर सकते हैं। बहुत हर्ष की बात है कि हमारे पुरखे खानवा व हल्दीघाटी के युद्ध में लडे। राणा सांगा का आत्म बल बहुत ही मजबुत था उस पर गर्व कर सकते है, खानवा युद्ध से पहले सांगा ने भारत को एक नयी दिशा दी थी। सबसे बड़ी बात यह है कि इतिहास भी साक्षी है कि जब राणा सांगा और चारों भाई साथ चल रहे थे उस समय पंडित ने भविष्यवाणी की थी कि जो राणा बनेंगे वो सांगा बनेंगे। उस समय पृथ्वीराज ने अपना भाला निकाल करके उन पर अटेक किया था। उस समय उन्हे सारंगदेवोत ने बचाया था। वे उनको बचाते बचाते वीरगति को प्राप्त हुए। राणा सांगा ने जो कल्पना की थी उसमें उसे पूरा करने में सारंगदेवोत का बड़ा योगदान रहा। इस अवसर पर सरकार द्वारा किये गये कार्यो की सराहना करते हुए उनका आभार व्यक्त किया कि इस परिसर में हमारे पुरोधा की भी मुर्ति लगाई है। मेवाड़ के महाराणा संस्कृति, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक चेतना के जीवंत प्रतीक भी हैं। उनकी वाणी में गरिमा है, विचारों में भारतीयता की गहराई है, और दृष्टिकोण में नवयुग की दिशा है। वे आज भी मेवाड़ की उस परंपरा को जीवंत रखते हैं, जो सेवा, त्याग और आत्मगौरव पर आधारित है। उनका व्यक्तित्व, मर्यादा और धैर्य से ओत-प्रोत है, जो हर भारतीय विशेषकर युवाओं को प्रेरणा देता है कि कैसे सांस्कृतिक विरासत को संभालते हुए आधुनिक युग में सकारात्मक योगदान दिया जाए।
समारोह में पूर्व विधायक एवं महाराणा सांगा के वंशज रणधीर सिंह भींडर ने मेवाड़ के 77वें वंशज महाराजा विश्वराज सिंह मेवाड़ का संदेश पढकर सुनाया। इस अवसर पर महेन्द्र प्रताप सिंह कोठारिया, पुष्पेन्द्र सिंह कुडकी, मृत्युंजय सिंह बिजोलिया, बयाना विधायक ऋतु बनावत ने भी सम्बोधित किया।
इन वंशजों का हुआ सम्मानः- सम्मान समारोह में अतिथियों द्वारा गोकुल सिंह परमार के वंशज मृत्युंजय सिंह, राणा सांगा के वंशज राव रणधीर सिंह भींडर, राव जोगा कानोड के वंशज शिवसिंह सारंगदेवोत कच्छेर, माणक चंद चैहान के वंशज महेश प्रताप सिंह, मृगराज सिंह , झाला अज्जा के वंशज करण सिंह झाला, पुण्डराक्ष्य सिंह, राव रतन सिंह मेड़ता के वंशज पुष्पेन्द्र सिंह कुडकी, हरेन्द्र सिंह कुडकी, चन्द्रभान सिंह के वंशज करण विजय सिंह मैनपुरी का साफा, उपरणा, प्रशस्ति पत्र एवं तलवार भेंट कर सम्मान किया गया।


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By desk 24newsupdate

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