24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर विकास प्राधिकरण नही, अब आप इसे भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण कह सकते हैं। यहां पर सारा काम सेटिंग से होता है। नोट फेंको और बड़े बड़े भवन, होटल बनवा लो। जिनकी जिम्मेदारी है वो तब तक चुप रहेंगे जब तक उस भवन के खिलाफ कोई पॉलिटिकल शिकायत नहीं हो जाती। या फिर कोर्ट का आदेश नहीं आ जाता। याने जब बहुमंजिला अवैध निर्माण बिना अनुमति के हो रहा हो तब फिकर-नोट क्योंकि जेब में आ गए होते हैं रिश्वत के नोट। अचानक आंखें बंद हो जाती है। पटवारी से लेकर बड़ी कुर्सी पर बैठै अफसर तक एकदम चुपचाप बैठ जाते हैं। मजे की बात है कि वही अफसर अचानक एक दिन नींद से जागते हैं और कहते हैं कि चलो अब ईमानदारी का चोला ओढ़ लेते हैं, कुछ तूफानी करते हैं। और अवैध भवन सीज हो जाता है। इस बीच में कानूनी पकड़ से बचने के लिए नोटिस-नोटिस का खेल खेलते रहते है फाइलों में। ताकि जब जवाब देने की बारी आए तो मासूमियत से कहकर बचा जा सके कि हमने तो नेटिस दे दिया था। जबकि जिम्मेदारी इनकी इस बात की है कि अवैध निर्माण ही नहीं हो। ये अफसर व कर्मचारी हम जनता से तनख्वाह ही इसी बात की लेते हैं। लेकिन आजकल देखने में आ रहा है कि दलालों की पौ बारह हो रही है। पूरा सिस्टम पॉलिटिकल आकाओं के दम पर माल कमा रहा है। उपर से ईमानदार बनकर जनता को मूर्ख बना रहा है।
आज राजस्व ग्राम सीसारमा में कृषि भूमि पर बिना रूपांतरण और बिना स्वीकृति के बनी बेसमेंट, भूतल सहित तीन मंजिला होटल को सीज कर दिया गया। उदयपुर विकास प्राधिकरण के कमिश्नर राहुल जैन ने खबर में बताया कि सीसारमा के आराजी संख्या 4299, 4300, 4301, 4760 पर बिना स्वीकृति एवं बिना भू-उपयोग परिवर्तन करवाए व्यवसायिक निर्माण की सूचना मिली थी जिस पर प्राधिकरण ने पूर्व में धारा 32 के तहत निर्माणकर्ता को नोटिस दिया था। जवाब में निर्माणकर्ता द्वारा किसी प्रकार की स्वीकृति एवं रूपांतरण के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। इस पर बहुमंजिला निर्माण को प्राधिकरण दल द्वारा आज सीज कर दिया गया। सवाल राहुल जैन से यह पूछा जाना चाहिए कि यूडीए का आपका अमला तब कहां सो रहा था जब तीन मंजिला भवन बन रहा था। एक ईंट भी अवैध लगी तो तभी उस निर्माण को ध्वस्त कर देना था। अब सीज किया है व कार्रवाई हुई है तो उसमें दोनों पक्षों का जो समय और धन बर्बाद हुआ है उसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी है। आखिर कब तक यूडीए के अफसर व कर्मचारी इस तरह के खेल खेलते रहेंगे। निर्माण को होने दो, सीज कर दो, उसके बाद गली निकाल कर नियमन कर दो। एप्रोच वाला बंदा नहीं है तो ध्वस्त करने की छोटी मोटी कार्रवाई कर दो।
सच तो यह है कि हमारे माननीय नेता भी लगता है इसी इको सिस्टम का हिस्सा है क्योंकि वे यूडीए अफसरों से सवाल ही नहीं पूछते कि ये चल क्या रहा है??


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By desk 24newsupdate

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