24 न्यूज अपडेट. नई दिल्ली। सब कह रहे हैं कि पेपर लीक है, एग्जाम फिर से होना चाहिए। कई लोग गिरफ्तार हुए। पेपर अगर एक जगह से लीक होता है तो वह पूरी दुनिया में इंटरनेट से जा सकता है लेकिन सरकार इसे नहीं मानती, एनटीए इसे नहीं मानती, उनको कुछ बच्चों की चिंता है कहते हैं कि तर्कसगंत नहीं होगा एग्जाम कैंसल करना। केंद्र सरकार ने शुक्रवार, 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में कहा किएग्जाम को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। इससे यह परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार छात्र गंभीर खतरे में आ जाएंगे। केंद्र ने अदालत में दाखिल हलफनामा में कहा कि परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं या गड़बड़ियों की पूरी जांच करने के लिए सीबीआई से कहा है। एग्जाम 5 जून को हुआ था। इसके बाद पेपर लीक और गड़बड़ियों के आरोप लगे। 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क देने पर भी विवाद हुआ। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इन कैंडिडेट्स की परीक्षा रद्द कर दी और फिर से एग्जाम लिया। केंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी होने या गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले ही घोषित परिणामों को रद्द करना उचित नहीं होगा। बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं, जिन्होंने बिना गड़बड़ी किए परीक्षा दी है। उनके प्रतिस्पर्धात्मक अधिकार और हितों को खतरे में नहीं डाला जा सकता। एनटीए ने कहा कि परीक्षा को रद्द व्यापक जनहित के खिलाफ होगा। पेपर लीक की कथित घटनाओं का परीक्षा के ऑपरेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस एग्जाम को पूरी निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ कराया गया है। एग्जाम के दौरान बड़े स्तर पर गड़बड़ियों और अनिमियताओं के दावे पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं। इनका कोई आधार नहीं है। इस तर्क से अगर आगे बढ़ते हैं तो जिन लोगों ने निजी विवि में दस्तूर के अनुसार सीटें करोडों देकर कथित रूप से बुक करवा ली हैं उनकी बल्ले बल्ले हो गई है।
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