24 News Update अजमेर। विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ स्थित हजरत बाबा फरीद गंज-ए-शकर का चिल्ला सोमवार तड़के 4:30 बजे खोला गया। मोहर्रम की 4 तारीख पर खोले गए इस चिल्ले की 72 घंटे तक जियारत की जा सकेगी। चिल्ला खुलते ही देश के विभिन्न हिस्सों से आए जायरीन की भीड़ उमड़ पड़ी और दरगाह क्षेत्र में भारी रौनक दिखाई दी।
इबादत का ऐतिहासिक स्थल
बता दें कि हजरत बाबा फरीद का मजार तो पाक पट्टन (पाकिस्तान) में है, लेकिन अजमेर की दरगाह में स्थित यह चिल्ला वह स्थल है, जहां बाबा फरीद ने इबादत की थी। इसी कारण से मोहर्रम के अवसर पर यह चिल्ला परंपरागत रूप से खोला जाता है और अकीदतमंद यहां पहुंचकर विशेष जियारत करते हैं।
मोहर्रम के रसूमात में बढ़ी आवाजाही
मोहर्रम के अवसर पर हाईदौस खेलने, ताजिया शरीफ निकालने जैसी रस्मों के लिए भी यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से जायरीन अजमेर पहुंचे हैं। कायड़ विश्राम स्थली, दरगाह क्षेत्र और आसपास के बाजारों में आवक से उत्सव जैसा माहौल बन गया है।
प्रशासन मुस्तैद, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जिला प्रशासन की ओर से जायरीन की सुगम आवाजाही और सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। हाईदौस मार्ग, ताजिया मार्ग और बाजारों में झूलते बिजली के तारों की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस, होमगार्ड्स और नगर निगम की टीमें क्षेत्र में तैनात हैं।
धार्मिक आस्था और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक
हजरत बाबा फरीद का चिल्ला हर वर्ष धार्मिक आस्था, सूफी परंपरा और भाईचारे का प्रतीक बनकर उभरता है। अजमेर की दरगाह में हर धर्म के लोग पहुंचते हैं और अमन-चैन की दुआ करते हैं। मोहर्रम के इन दिनों में अजमेर आस्था, श्रद्धा और सूफियाना रंग में रंगा नजर आता है।
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