24 news Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग योगिन्द्र गिरी तलहट पर स्थित प्रभुदास धाम रामद्वारा में दिव्य चातुर्मास के अंतर्गत रामकथा में रामस्नेही संप्रदाय मेडता के उत्तराधिकारी संत रामनिवास शास्त्री ने रामकथा अन्तर्गत राम और रावण के युद्ध मे रावण के बार-बा सिर कट रहे और नये सिर स्थापित होने पर भगवान विचार करने लगते है तो त्रिजटा और सीता को समाचार प्राप्त होने पर कहते है कि रावण के सिर कटने से मरने वाला नही है उसके ह््रदय मे मारने से भी नही मरने वाला है यह शक्ति का उपासक है समस्त भौतिकवादी शक्ति माता के उपासक होते है भगवान के उपासक नही है। शक्ति के रूप मे जानकी बिराजमान है तो रावण मरेगा नही रावण मरेगा जब सिर के बार-बार कटने से उसका ह््रदय का परिवर्तन होगा। फिर भी रावण के नही मरने पर विभीषण की ओर ध्यान गया भगवान क्योकि आखिरकार है तो भाई उसके क्या विचार है तब बताया रावण के नाभि मे अमृत कुण्ड है।
संत शास्त्री ने कहा संसार मे भी जब ह््रदय मे झूठ और पाप भरा है तब तक ह््रदय मे पूण्य और सत्य नही हो सकता है। इसलिए झूठ और पाप का त्याग करना जरूरी है। जब तक समर्थ गुरू का सानिध्य नही मिले संभव नही है। भगवान ने 31 बाणों से प्रहार किए जिससे भयंकर घटना घटी जिसके परिवर्तन दिखने लगे। जिससे शरीर के सभी अंग पृथक होते होते एक बाण नाभि मे लगा और एक सिर मंदोदरी की गोद मे जा गिरा। व्यक्ति का विरोध नही व्यक्ति के कुकर्म, अत्याचार और पाप की प्रवृति है रावण तो मर गया पर रावण की रावण की प्रवृति के मानव आज भी है।। जिस पर संत ने भजन कलयुग बैठा मार कुण्डली जाऊ तो मै कहाँ जाऊ अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहा से लाऊ… संसार मे हर घर मे रावण बैठा वरन हर घट मे रावण बैठा इसलिए भगवान राम प्रसन्न नही भगवान तब ही प्रसन्न होते है जब हर ह््रदय पवित्र,पावन और चरित्रवान हो। विभीषण का राज्याभिषेक और सीता-राम की विरह वेला समाप्त होता है। सगुण उपासक कभी भी मुक्ति की इच्छा नही करते है वरन बार बार जन्म लेकर परमात्मा की भक्ति और परमात्मा के विभिन्न स्वरूप और श्रृंगार के दर्शन चाहते है। माया रूपी और अंहकार युक्त रावण को मारो भगवान तो भगवान के प्रति भाव जागृत हो सकता है। कथा में भजन गायक कैलाश माकड ने सांवरिया है सेठ मारी राधाजी दुलारी है.., राम नाम तारण जाने कब दर्शन होगा जिसकी रचना इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा …सहित भजन प्रस्तृत किये। महाप्रसाद के यजमान बालेश्वर-बंसीलाल भावसार ने पण्डित विनोद त्रिवेदी के मंत्रोच्चारण के साथ पोथी-पूजन व आरती उतारी। कबीर पंथ की साध्वी भुवनेश्वरी, विशाखा दीदी और प्रभुदास धाम संत उदयराम व संत अमृतराम का सानिध्य लोकेश ठाकुर,कैलाश माकड,लोकेश भावसार,रमाकान्त भावसार,मंगेश भाटी मेडता ने विभिन्न वाद्ययंत्रो पर संगत दी। इस अवसर नरसिंग नाथालाल पटेल,गुणवन्त भावसार,प्रहलाद भावसार,जयन्तिलाल राठौर, मुकेश कुमार भावसार,कमल शर्मा,प्रभाशंकर फलोत, मंजुला, लता भावसार,दिनेश शर्मा, रुपनारायण भावसार, मधुकर भावसार,हेमन्त भावसार, लालशंकर,लक्ष्मीकांत भावसार सहित नगर के कई समाजों के महिला पुरुष उपस्थित थे। धाम के संत उदयराम महाराज ने बताया की कथा का विराम 4 सितम्बर को दोपहर 3 से 5 बजे तक होगा व चातुर्मास समापन 5 सितम्बर शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक होगा जिसमें सेकडों की संख्या में रामस्नेही भक्तजन उपस्थित रहेगें।


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By desk 24newsupdate

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