
24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। राज्य सरकार के निर्देशों के तहत नगर निगम ने प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ लगातार दूसरे दिन कार्रवाई करते हुए 1 क्विंटल 51 किलोग्राम प्लास्टिक थैलियों को जब्त किया। सविना सब्जी मंडी के पास केबिन में छुपाकर रखी गई ये थैलियां अहमदाबाद से लाई गई थीं। कार्रवाई में निगम की टीम ने मौके से प्लास्टिक जब्त कर कानूनी प्रक्रिया शुरू की। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये कार्रवाई सिर्फ सतही प्रयास हैं, या फिर असली प्लास्टिक सिंडिकेट को बचाने की कोशिश?
प्रतिबंधित प्लास्टिक का असली खेल कहां चल रहा है?
जानकारों की मानें तो शहर में प्रतिबंधित प्लास्टिक की थैलियों की आपूर्ति राजस्थान के बाहर से बड़े स्तर पर होती है, जिसमें गुजरात के अहमदाबाद, सूरत और हरियाणा के कुछ शहरों से थोक खेपें आती हैं। ये माल पावरफुल होलसेलर लॉबी के जरिए शहर में वितरित होता है, जो खुद को हमेशा कार्रवाई से बचा लेती है। सवाल यह है कि नगर निगम इन ‘हाथियों’ पर हाथ डालने से क्यों बच रहा है?
सिर्फ फुटकर विक्रेताओं को टारगेट करने से नहीं होगा काम
नगर निगम की कार्रवाई केवल फुटपाथ पर बैठे या छोटी दुकानों में छुपाकर रखे प्लास्टिक को जब्त करने तक सीमित है। जबकि असली आपूर्ति करने वाले होलसेलर आराम से अपने गोदामों में स्टॉक रखे हुए हैं। हर मंडी और हर बाजार में थोक प्लास्टिक बेचने वाले दुकानदार खुलेआम कारोबार कर रहे हैं, मगर कार्रवाई सिर्फ “राहुल बाबेल“ जैसे छोटे किराना व्यापारियों तक सिमट जाती है।

आयुक्त का इरादा स्पष्ट, लेकिन अमल अधूरा
नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना ने कहा है कि “शहर की सफाई व्यवस्था में प्लास्टिक सबसे बड़ा बाधक है। प्लास्टिक के कारण सीवरेज चोक होते हैं और नालों में रुकावट आती है।” उन्होंने प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखने की बात कही है और नागरिकों से इसके उपयोग से बचने की अपील की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल अपील और छोटी-मोटी जब्ती से शहर को प्लास्टिक मुक्त किया जा सकता है?
होलसेलर लॉबी पर कब होगी कार्रवाई?
जानकारों का कहना है कि जब तक बड़ी होलसेलर लॉबी पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक नगर निगम की यह मुहिम केवल दिखावा भर रह जाएगी। प्लास्टिक का असली स्रोत पकड़ने के लिए लॉजिस्टिक चेन की जांच, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की मॉनिटरिंग और थोक विक्रेताओं के गोदामों पर छापे जरूरी हैं। नगर निगम ने पहले कदम उठाए हैं, लेकिन यदि शहर को सचमुच प्लास्टिक मुक्त करना है, तो ‘हाथियों’ पर हाथ डालने का साहस दिखाना होगा। वरना ये मुहिम केवल उन गरीब फुटकर विक्रेताओं तक सीमित रह जाएगी, जो खुद इन थोक विक्रेताओं के जाल में फंसे हुए हैं।
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