24 न्यूज अपडेट,उदयपुर | उदयपुर जिले के बेडवास क्षेत्र में मंगलवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब जिला प्रशासन, बाल अधिकारिता विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने एक बाल विवाह की सूचना पर दबिश देकर दो नाबालिग बच्चों का विवाह रुकवाया। विवाह की सारी तैयारियां पूरी थीं – टेंट लगा था, मेहमान आ चुके थे और रसोई से खुशबू उड़ रही थी – मगर फिर दस्तावेज़ों की उम्र सामने आई और पूरा ‘शादी समारोह’ कानूनी चेतावनी में तब्दील हो गया। यह कार्यवाही जिला कलक्टर नमित मेहता के निर्देशन में गठित बाल विवाह नियंत्रण तंत्र के तहत हुई। कलक्टर कार्यालय में स्थापित बाल विवाह नियंत्रण कक्ष एवं चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सूचना प्राप्त होते ही सहायक निदेशक के.के. चंद्रवंशी ने त्वरित एक्शन लेते हुए टीम गठित की।
सूचना के अनुसार, बेडवास गांव में 22 अप्रैल को एक नाबालिग बालिका (उम्र 17 वर्ष) और दो नाबालिग बालकों (उम्र 16 व 18 वर्ष) की शादी करवाई जा रही थी। मौके पर पहुंची टीम में शामिल थे: चाइल्ड हेल्पलाइन समन्वयक नवनीत ओदिच्य, टीम सदस्य महेंद्र सिंह राजपूत, प्रदीप मेघवाल,
पटवारी आशीष कुमार, प्रतापनगर थाने से एएसआई पर्वत सिंह, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष यशोदा पणिया और सदस्य अंकुर टांक।
परिवार की ओर से टालमटोल, टीम ने उठाए सवाल
टीम ने जब मौके पर पूछताछ शुरू की तो शुरुआत में परिवार की ओर से टालमटोल की गई और शादी की बात से इनकार किया गया। लेकिन विवाह स्थल पर टेंट, सजावट, भोजन की व्यवस्था और मौजूद रिश्तेदारों ने तस्वीर साफ कर दी। दूल्हा-दुल्हन के दस्तावेज जांचे गए तो बालिका नाबालिग पाई गई और दोनों बालकों की उम्र भी कानूनन विवाह योग्य नहीं थी। इस पर परिजनों को तुरंत पाबंद किया गया और चेताया गया कि यदि भविष्य में इस विवाह को चोरी-छुपे अंजाम देने का प्रयास हुआ, तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
“बाल विवाह अपराध है, संस्कार नहीं” – प्रशासन की चेतावनी
सहायक निदेशक के.के. चंद्रवंशी ने बताया कि यह केवल एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का प्रयास है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह सामाजिक कुरीति है और इससे बच्चों के भविष्य पर गहरा असर पड़ता है। उन्होंने आमजन से अपील की कि यदि कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिले तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सूचित करें। उन्होंने स्पष्ट किया, “अगर उम्र की सीमा पार नहीं हुई है, तो शादी का मंडप सजाना गैरकानूनी है। और कानून की टीम ऐसी शादियों में बाराती नहीं, रोकथाम की टुकड़ी बनकर पहुंचती है।”
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