24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। आयड़ नदी के स्वाभाविक प्रवाह पथ में छेड़छाड़ और स्मार्ट सिटी परियोजना के नाम पर हुए गलत निर्माण कार्यों का सच रविवार को सामने आ गया। छह सितंबर को एक दिन के तेज बहाव ने न केवल नदी किनारे और पेटे में बने आरसीसी दीवारों और पत्थर की पट्टियों को उखाड़ फेंका, बल्कि करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए गार्डन भी बर्बाद कर दिए। पर्यावरणविद डॉ. अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल, नंदकिशोर शर्मा और कुशल रावल ने रविवार को निरीक्षण के दौरान पाया कि नदी ने अपने बहाव में बाधा डालने वाली हर चीज को ध्वस्त कर दिया है।
नदी ने चेतावनी को सच किया
जब आरसीसी कार्य कराया जा रहा था, तब कई जागरूक नागरिकों ने चेतावनी दी थी कि नदी के प्राकृतिक प्रवाह पथ में हस्तक्षेप गलत है और नदी इन निर्माणों को कभी न कभी नष्ट कर देगी। रविवार को यह चेतावनी सही साबित हुई।
लोहे की क्लिप और केमिकल भी न बचा सके निर्माण
पिछले साल के बहाव में पत्थर की पट्टियां खिसकने लगीं, तो स्मार्ट सिटी मशीनरी ने लोहे की क्लिप और केमिकल से उन्हें जोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन इस बार का तेज बहाव इन क्लिप्स को भी उखाड़ ले गया। कई भारी भरकम पत्थर बह गए और जो बचे, उनके नीचे की मिट्टी बह जाने से वे भी खतरे में हैं।
गार्डन भी पूरी तरह बर्बाद
नदी के किनारे बनाए गए गार्डन और सजावटी संरचनाएं भी इस बहाव में टिक नहीं सकीं। पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि यह उदाहरण स्पष्ट करता है कि नदी के स्वाभाविक प्रवाह में छेड़छाड़ करना बेहद खतरनाक और व्यर्थ है।
मरम्मत की बजाय प्रायश्चित की जरूरत
निरीक्षण टीम का कहना है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत फिर से मरम्मत का प्रयास बेकार होगा। “अब समय है कि नदी में डाले गए मलबे, बिछाई गई फर्शी और गार्डन को हटाया जाए, और मां समान नदी से क्षमा मांगी जाए,” पर्यावरणविदों ने कहा।

