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बौद्धिक सम्पदा का संरक्षण, भारतीय प्राचीन ज्ञान का समावेश और किसानों तक उसका लाभ पहुँचाना ही विश्वविद्यालय का उद्देश्य : राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े

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24 News Update उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर में शुक्रवार को आयोजित वरिष्ठ अधिकारियों एवं विभागाध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति माननीय श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा देना नहीं, बल्कि बौद्धिक सम्पदा का संरक्षण करते हुए भारतीय प्राचीन ज्ञान का समावेश और किसानों तक उसका सीधा लाभ पहुँचाना होना चाहिए।
कुलगुरु डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने राज्यपाल महोदय का स्वागत कर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख किया। राज्यपाल ने एमपीयूएटी की अब तक की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित न रहे, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और चरित्र निर्माण पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय विद्वानों ने प्राचीन काल में ऐसे वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान का सृजन किया, जिसे अंग्रेजों ने उपेक्षित किया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, अनुसंधान और नैतिक तकनीकी पेशेवर तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार हो, तथा विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेज छ।।ब् मान्यता की दिशा में कार्य करें। बैठक में अकादमिक, वित्तीय स्थिति, शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक पद, सूचना-प्रौद्योगिकी एवं संरचनात्मक ढाँचे पर भी विस्तृत चर्चा हुई।
इस अवसर पर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और एल्सिवियर द्वारा विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल एमपीयूएटी के वैज्ञानिक डॉ. एन.एल. पंवार और डॉ. विनोद सहारन को राज्यपाल ने विशेष रूप से सम्मानित किया।
कुलगुरु डॉ. कर्नाटक ने बताया कि 1999 में स्थापित विश्वविद्यालय ने अब तक 58 पेटेंट, 81 अंतरराष्ट्रीय एमओयू, मक्का व औषधीय फसलों की उन्नत किस्में, 26 अनुसंधान परियोजनाएँ और लाखों किसानों को प्रशिक्षण देने जैसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय ने एनईपी-2020 लागू कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता व डेटा साइंस में स्नातक पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं।
कार्यक्रम के अंत में सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. धृति सोलंकी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. विशाखा बंसल एवं डॉ. रूपल बाबेल ने किया, जबकि सहयोग विशाल अजमेरा, मनोज भटनागर और दिनेश कुमार ने दिया। यह जानकारी डॉ. जी. एल. मीना मीडिया प्रकोष्ठ एवं जनसंपर्क अधिकारी ने दी।

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