24 News Update उदयपुर। राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ किशनराव बागडे ने मंगलवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एम.पी.यू.ए.टी.), उदयपुर में आयोजित प्रगतिशील किसान संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि उनके काल में प्रचलित प्राचीन कृषि ज्ञान जैसे पंडित चक्रपाणि मिश्र द्वारा रचित “विश्व वल्लभ” जैसे ग्रंथों के संरक्षण और संवर्धन की आज अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि हम ऐतिहासिक कृषि परंपराओं को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ सकें, तो आत्मनिर्भर भारत का सपना और “विकसित भारत 2047” का लक्ष्य साकार किया जा सकता है।
राज्यपाल का स्वागत और संवाद
राज्यपाल महोदय का आगमन दोपहर 3 बजे विश्वविद्यालय परिसर में हुआ, जहां कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुई, जिसके बाद राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में स्थापित महाराणा प्रताप शोध पीठ का अवलोकन किया और वहां हो रहे शोध कार्यों की सराहना की। अपने संबोधन में राज्यपाल महोदय ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे युगपुरुष ने सिर्फ युद्ध नहीं लड़ा, बल्कि कृषि सुधारों और किसान सशक्तिकरण को भी प्राथमिकता दी थी। उन्होंने कहा, “जब मेवाड़ मुगलों से संघर्षरत था, तब भी महाराणा प्रताप ने कृषि नीति का प्रवर्तन कर खेती की उपयोगिता को स्थापित किया। ऐसे ऐतिहासिक संदर्भ आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं।”
किसानों को बताया राष्ट्र का आधार, युवाओं से किया आह्वान
राज्यपाल ने किसानों को ‘राष्ट्र का अन्नदाता’ बताते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसान ही हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में भारत आयातक देश से खाद्य निर्यातक राष्ट्र बना है, जिसमें किसानों की भूमिका सर्वोपरि रही है। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और घटती कृषि भूमि के मद्देनजर कृषि उत्पादन को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानंद, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और हनुमान जी जैसे प्रेरणास्रोत उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” – यह मंत्र अपनाकर प्रत्येक छात्र को मेहनत और बुद्धिमत्ता के बल पर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो छात्रों को हर परिस्थिति में टिके रहने की क्षमता दे।
श्री अन्न पुस्तक का विमोचन, विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की प्रस्तुति
इस अवसर पर राज्यपाल महोदय ने “श्री अन्न” कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। साथ ही, विश्वविद्यालय की शोध, नवाचार और तकनीकी उपलब्धियों पर आधारित प्रस्तुति अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविंद वर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में स्कोपस इंडेक्स में 81 का उच्चतम मान प्राप्त किया है, साथ ही 81 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से एमओयू (समझौता ज्ञापन) भी किए हैं। अभी तक विश्वविद्यालय द्वारा 58 पेटेंट पंजीकृत कराए गए हैं, जो एक कीर्तिमान है।
विकसित भारत 2047: शिक्षा से नवाचार की ओर
राज्यपाल ने इस बात पर विशेष बल दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप एमपीयूएटी को “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य में सहयोगी बनकर कार्य करना होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपेक्षा जताई कि “स्मार्ट तरीकों से कड़ी मेहनत कर समावेशी विकास की अवधारणा को साकार करें।”
कार्यक्रम में रहे अनेक गणमान्य उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन डॉ. विशाखा बंसल और डॉ. विक्रमादित्य दवे ने किया जबकि अधिष्ठाता डॉ. मनोज कुमार महला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर पूर्व कुलपति डॉ. उमाशंकर शर्मा, विश्वविद्यालय प्रबंधन मंडल के सदस्य इंजीनियर सुहास मनोहर, डॉ. वी. डी. मुद्गल, श्रीमती कविता जोशी, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, अधिष्ठाता, निदेशक, तथा राजस्थान के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों से आए 100 से अधिक प्रगतिशील किसान और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
राज्यपाल बोले: महाराणा प्रताप कालीन कृषि ज्ञान का संरक्षण आवश्यक, तभी होगा आत्मनिर्भर भारत संभवएमपीयूएटी में राज्यपाल का प्रगतिशील किसान संवाद कार्यक्रम सम्पन्न, ‘‘श्री अन्न’’ पुस्तक का विमोचन भी किया

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