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खुद को ‘सिंह’ समझने वाले ‘तख्त’ पर बैठे नेताजी ने फिर शुरू किया फुटपाथ पर वसूली का खेल, यूडीए अफसरों का आपराधिक मौन!!

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24 News Update उदयपुर. उदयपुर के सेक्टर-14… में सेटेलाइट अस्पताल के बाहर फुटपाथ का वही तख्त। वही खुद को सिंह समझने वाले नेताजी…। और हां, वही खुली वसूली! आपको बता दें कि कुछ दिन पहले बंद हुई दुकानें, अब फिर से उनके राजनीतिक संरक्षण में रही हैं। नेताजी सोच रहे थे कि जनता भूल जाएगी… और राजनीतिक धौंसपट्टी के सहारे फुटपाथ पर फिर से कब्जा करवा कर अवैध वसूली का अंडर कारोबार फिर से से जमा लेंगे… लेकिन उनकी चाल इस बार नाकाम नहीं होने वाली है। आज हमारी टीम मौके पर गई… तो देखा कि अड़ियल और घमंड से भरे हुए खुद को ‘सिंह’ समझने वाले नेताजी फुटपाथ पर बेखौफ कब्जा जमाए बैठे वसूली का खेल खेल रहे हैं। यही नहीं, इनके यहां इनके जैसे पॉलिटिकल लोगों का भी आना जाना है जिनको जनता अब तक अपना नुमाइंदा समझती थी। लगता है ये लोग यहां पर ट्रेनिंग लेने आ रहे हैं कि शहर में इस प्रकार के और वसूली के अड्डे कैसे चलाए जा सकते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कोई डर नहीं दिखाई दे रहा है। बल्कि जनता तो अब उन पर भी मिलीभगत होने की उंगली उठाने लग गई है। अस्पताल के बाहर का रास्ता लोगों की सुगम आवाजाही के लिए है मगर जब से तख्त वाले व खुद को सिंह समझने वाले नेता की बुरी नजर पड़ी है। यह जमीन उनके लिए सोना उगलने लग गई है। अतिक्रमण करवा कर वसूली का पूरा रैकेट चला दिया है नेताजी ने। हो सकता है इसका पैसा उपर तक कहीं पहुंच रहा हो वरना यह तो संभव नहीं कि छोटे—मोटे मामलों में पराक्रम दिखाने वाले यूडीए के अफसर इस मामले में भीगी बिल्ली बनकर मुंह छिपाए आखिर क्यों बैठ गए हैं? आपको याद दिला दें कि इन नेताजी का नाम पिछले दिनों बलीचा की जमीनों के मामले में खूबर उछला था। इसके अलावा भी इनके काले कारनामों के रोज नए किस्से जनता की चौपाल में डिस्कस किए जा रहे हैं। आज हमने मौके पर देखा कि जो दुकानें पिछली खबर दिखाए जाने के बाद बंद कर दी गई थी वे फिर से खुल गईं हैं। लोग कह रहे हैं कि नेताजी ने आश्वासन दिया है कि उनकी सेटिंग जयपुर तक है। माल उपर तक पहुंचा देंगे तो मीडिया आखिर क्या ही बिगाड़ लेगा। यूआईटी अफसरों को उन्होंने धौंस दिखाकर या पैसों की बारिश करके ऐसा परफेक्ट मैनेज किया है कि जनता कह रही है कि लगता है ​कमिशनर साहब ने इस रास्ते पर ही आना छोड़ दिया है। ताकि कहीं तख्त पर नजर पड़ जाए और मन में अतिक्रमण हटाने का विचार ना कुलबुला जाएं लेकिन जनता की आवाज इतनी सस्ती और बिकाउ तो नहीं है। जनता देख रही है… हर कदम देख रही है। और समय आने पर हर तरह की भाषा में दिखाना भी जानती है। अब वक्त है कि अगर अतिक्रमण हटाया नहीं गया, तो हमारी मुहिम तेज़ होगी। तेज़ इतनी कि नेताजी बेनकाब होंगे… और उन्हें बचाने वाले अफसर भी। हम यूडीए अफसरों से सीधे अपील करते हैं—नेताजी की चरणवंदना छोड़िए, सीधे अतिक्रमण हटाइए। वरना शहर, जनता और कानून के सामने जिम्मेदारों पर सवाल उठेंगे। फुटपाथ पर खुला अवैध धंधा, मासिक वसूली, अपराधियों का संरक्षण, राजनीतिक सरपरस्ती… यह उदयपुर में अब नेताओं का खेल हो चुका है। अब जनता देख रही है… मीडिया देख रही है… और वक्त आ गया है कि इस तख्त को हिलाया जाए व ताज छीन लिया जाए। अतिक्रमण हटाना सिर्फ कानून की जरूरत नहीं, यह शहर की भलाई, जनता का हक और अफसरों की ईमानदारी की परीक्षा भी है।

उदयपुर, सेक्टर-14… वही तख्त, वही वसूली, और अब जनता की नजरें सीधे उसी पर हैं।

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