24 News Update उदयपुर। उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए मनवाखेड़ा राजस्व ग्राम स्थित “जी-2 का राजघराना” नाम से बनाए गए होटल और रेस्टोरेंट को सील कर दिया। यह होटल लगभग 4000 वर्गफीट क्षेत्र में बिना रूपांतरण और स्वीकृति के बनाया गया था।
जानकारी के अनुसार, कंशुलाल पिता दोलाराम डांगी और लक्ष्मी पत्नी केशुलाल डांगी द्वारा बनाए गए इस व्यावसायिक निर्माण पर यूडीए अधिनियम-2023 की धारा 32 के तहत प्रकरण संख्या 05/2025 दर्ज किया गया था। सुनवाई के बाद 6 अक्टूबर 2025 को अवैध निर्माण के विरुद्ध आदेश जारी हुए थे, मगर निर्माण नहीं हटाने पर अब धारा 36 के तहत भवन को सील करने की कार्रवाई की गई। प्राधिकरण के अधिकारी और पुलिस जाप्ता मौके पर मौजूद रहे।
भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी-अवैध निर्माण पहले, कार्रवाई बाद में
यूडीए की यह कार्रवाई जहां दिखावे में “सख्ती” मानी जा रही है, वहीं शहर में एक बार फिर वही पुराना सवाल गूंजने लगा है कृ
जब यह अवैध होटल बन रहा था, तब यूडीए के अफसर कहाँ थे?
मनवाखेड़ा में इतनी बड़ी होटल बिल्डिंग तैयार हो जाए और प्राधिकरण को भनक तक न लगे कृ यह किसी भी सूरत में संभव नहीं। लोगों का कहना है कि यह मामला साफ तौर पर रिश्वतखोरी और मिलीभगत की देन है। सूत्र बताते हैं कि निर्माण के दौरान यूडीए के कुछ अफसरों और उनके दलालों ने जमकर वसूली की होगी।
“पहले बनने दो, बाद में तोड़ो” -यूडीए का नया फार्मूला!
यूडीए में वर्षों से यही पैटर्न चलता आ रहा है – पहले रिश्वत लेकर अवैध निर्माण होने दो, फिर जब भवन पूरी तरह बनकर कमाई का जरिया बन जाए, तब राजनीतिक दबाव या दिखावे में कार्रवाई कर दो।
बीच में नोटिस देने का नाटक भी किया जाता है ताकि कानूनी रूप से अफसरों की जिम्मेदारी तय न हो सके।
जनता पूछ रही है
“अगर अवैध निर्माण हुआ है तो सिर्फ मालिक पर नहीं, ड्यूटी पर तैनात अफसरों पर भी कार्रवाई क्यों नहीं होती?”
जनता के टैक्स से पल रहा भ्रष्ट सिस्टम
यूडीए में बैठे अफसर जनता के टैक्स के पैसों से तनख्वाह ले रहे हैं, लेकिन उन्हीं की आंखों के सामने शहर भर में अवैध निर्माण फल-फूल रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक भ्रष्ट अफसरों और उन्हें संरक्षण देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह “कार्रवाई का नाटक” चलता रहेगा।

