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नव आगंतुक छात्राध्यापकों का दीक्षारंभ समारोह सम्पन्न, कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने सफलता के साथ अच्छा इंसान बनने का दिया संदेश

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24 News Update उदयपुर । राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बी.ए.-बी.एड. और बी.एससी.-बी.एड. पाठ्यक्रमों के नव आगंतुक छात्राध्यापकों के लिए दीक्षारंभ समारोह सोमवार को महाविद्यालय सभागार में उत्साहपूर्वक आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, प्रो. मुनेश चन्द्र त्रिवेदी, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. बलिदान जैन और डॉ. रचना राठौड़ ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिथियों ने नव प्रवेशित छात्राध्यापकों का उपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया।

सफलता के साथ अच्छा इंसान बनने का आह्वान
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि जीवन में सफलता के साथ अच्छा इंसान बनना आवश्यक है। लक्ष्य निर्धारण, समय प्रबंधन, आत्म-अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ने से असफलता कभी आड़े नहीं आती। उन्होंने कहा, “असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है, जितना बड़ा जोखिम होगा, सफलता भी उतनी ही बड़ी मिलेगी।”
प्रो. सारंगदेवोत ने नव छात्राध्यापकों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा दी। उन्होंने गुरू-शिष्य परंपरा के पुनर्जीवन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि तकनीक कितनी भी उन्नत हो जाए, आत्मीयता केवल कक्षा से ही आती है।

सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं – प्रो. त्रिवेदी
मुख्य अतिथि प्रो. मुनेश चन्द्र त्रिवेदी ने कहा कि जीवन में सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, निरंतर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। आज का युवा अंकों के पीछे भाग रहा है, लेकिन जीवन का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, व्यावहारिक ज्ञान और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रटने की प्रवृत्ति समाप्त कर शिक्षा को कला, इंजीनियरिंग और विज्ञान से जोड़ना होगा।

शिक्षा केवल चारदीवारी तक सीमित नहीं – प्राचार्य
प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने स्वागत भाषण में कहा कि आज से विद्यार्थी और अभिभावक विश्वविद्यालय का हिस्सा बन गए हैं। युवा शक्ति राष्ट्र का भविष्य है और शिक्षा का कार्य केवल कक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा केवल पेशा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का पवित्र कार्य है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया तथा आभार डॉ. अमी राठौड़ ने व्यक्त किया। समारोह में महाविद्यालय के अकादमिक स्टाफ और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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