24 news update उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के शिक्षा संकाय में बीए-बीएड एवं बीएससी-बीएड के नव आगंतुक छात्राध्यापकों का दीक्षारंभ समारोह सोमवार को महाविद्यालय सभागार में हुआ। समारोह का शुभारंभ कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, प्रो. मलय पानेरी, डॉ. धमेन्द्र राजौरा और डॉ. सुनीता मुर्डिया ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने छात्राध्यापकों से कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को लक्ष्य निर्धारण, समय प्रबंधन, आत्म-अनुशासन और उच्च सपनों को छोटे-छोटे लक्ष्यों में विभाजित कर पूरा करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा – “असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है। संस्थापक जनुभाई का मानना था कि यदि कोई विद्यार्थी असफल होता है तो उसकी जिम्मेदारी शिक्षक की है।” कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि संस्थापक पंडित जनुभाई नागर ने वंचित वर्ग को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से 1937 में राजस्थान विद्यापीठ की स्थापना की थी। उन्होंने विद्यार्थियों से पाठ्यपुस्तकों के साथ अन्य गतिविधियों में भाग लेने का भी आह्वान किया। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा डा. ललित श्रीमाली संपादित पुस्तक ‘हिन्दी आलोचना : मेला आंचल स्वरूप और सरोकार’ का विमोचन भी किया गया।
समारोह में संचालन डॉ. अर्पिता मट्ठा ने किया और आभार डॉ. ललित श्रीमाली ने जताया। कार्यक्रम में डॉ. सौनल चौहान, डॉ. नीतू पंवार, डॉ. दर्शना दवे, डॉ. सरोज प्रजापत, ओजस्वी सारंगदेवोत, नलिनी सिंह चुंडावत, संजय भारद्वाज, डॉ. दीपक दशोरा, किरण जैन सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे।
नव आगंतुक छात्राध्यापकों का दीक्षारंभ समारोह आयोजित, सर्वांगीण विकास के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन जरूरी – प्रो. सारंगदेवोत

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