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शिक्षक दिवस पर शिक्षकों का सम्मान: राष्ट्र निर्माता गुरुओं को किया नमन, आधुनिक शिक्षा के साथ मूल्य और मौलिकता पर जोर

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24 News Update उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर छात्राध्यापकों ने अपने गुरुओं का उपरणा और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। पूरे समारोह का संचालन और व्यवस्था भी छात्राध्यापकों ने संभाली।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि सृष्टि की प्रथम गुरु मां हैं और दूसरा शिक्षक। मां विद्यालय है तो शिक्षक विश्वविद्यालय। उन्होंने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि वे केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि दार्शनिक, प्रोफेसर, कुलपति, राजनयिक और राष्ट्रपति के रूप में जीवन मूल्यों और दृष्टिकोण के आदर्श रहे। शिक्षा ऐसा हथियार है, जो दुनिया को बदल सकता है। शिक्षक आने वाली पीढ़ी में राष्ट्रीयता, मौलिकता और मूल्यों को जगाने का कार्य करते हैं।
प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि आज की शिक्षा में सूचना तो अधिक है, लेकिन उन्नति तभी संभव है जब उसमें विद्यार्थी-केंद्रित मौलिकता और मूल्यनिष्ठ ज्ञान को शामिल किया जाए। उन्होंने गुरु के रूप में मां की भूमिका को रेखांकित किया और वर्तमान समय में शिक्षा प्रणाली में आए बदलावों पर विचार साझा किए।
मुख्य अतिथि कुलाधिपति एवं कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने डॉ. राधाकृष्णन के प्रेरणादायी जीवन प्रसंगों को याद किया और पंडित मनीषी जनार्दनराय नागर के शिक्षा क्षेत्र में योगदान का स्मरण किया। उन्होंने छात्राध्यापकों से आह्वान किया कि वे समाज और राष्ट्र की दिशा तय करने में अपना योगदान दें।
समारोह में प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. भुरालाल श्रीमाली सहित अनेक शिक्षकों का माल्यार्पण, उपरणा ओढ़ाकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन निहारिका चुण्डावत और जयश्री लौहार ने किया जबकि आभार कुसुम डांगी ने व्यक्त किया। यह जानकारी निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत ने दी।

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