उदयपुर, 19 सितम्बर। सुखाड़िया विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (सुटा) ने कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा किया है। सुटा ने जांच समिति व संभागीय आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में कुलपति पर इतिहास विरोधी बयान देने और दो वर्षीय कार्यकाल के दौरान गंभीर प्रशासनिक व वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
औरंगजेब की प्रशंसा से आक्रोश
सुटा ने कुलपति द्वारा औरंगजेब को “श्रेष्ठ प्रशासक” कहने और उसे महाराणा प्रताप व पृथ्वीराज चौहान जैसे राष्ट्रनायकों के समकक्ष बताने पर कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन ने कहा कि औरंगजेब का शासनकाल कट्टर धार्मिक नीतियों, मंदिर विध्वंस, जजिया कर, सिख गुरु तेग बहादुर की फांसी और मेवाड़ पर बर्बर हमलों के लिए कुख्यात रहा है।
संगठन ने टिप्पणी की—“ऐसे शासक की प्रशंसा केवल वही कर सकता है, जो क्रूरता और तानाशाही से प्रेरित हो।”
नियुक्तियों व वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप
सुटा ने आरोप लगाया कि कुलपति मिश्रा ने अपने कार्यकाल में—
- शिक्षक व गैर-शिक्षक पदों पर पारदर्शिता रहित नियुक्तियां कीं,
- राज्य सरकार व यूजीसी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए एकतरफा निर्णय लिए,
- विश्वविद्यालय निधि का गैर-जरूरी परियोजनाओं पर दुरुपयोग किया,
- तथा ऑडिट रिपोर्टों में कई विसंगतियां छोड़ दीं।
इन कृत्यों से विश्वविद्यालय की शिक्षण-शोध गुणवत्ता प्रभावित हुई, वित्तीय स्थिरता डगमगाई और हितधारकों का विश्वास टूट गया।
नैतिक अधिकार खत्म: सुटा
संगठन ने स्पष्ट कहा कि प्रो. सुनीता मिश्रा अब विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों का विश्वास खो चुकी हैं। ऐसे में उनके पास कुलपति पद पर बने रहने का न तो नैतिक और न ही प्रशासनिक अधिकार है।
शीघ्र कार्रवाई की मांग
सुटा ने जांच समिति से आग्रह किया है कि सभी पहलुओं का जल्द अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति को सौंपी जाए, ताकि विश्वविद्यालय में फैली अराजकता और अविश्वास की स्थिति समाप्त हो सके।
ज्ञापन पर हस्ताक्षर
यह ज्ञापन सुटा अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र सिंह राठौड़ और सचिव डॉ. गिरिराज सिंह चौहान के हस्ताक्षर से समिति को सौंपा गया।
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