24 न्यूज अपडेट, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली और एनसीआर के नगर निकायों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर उनकी नसबंदी करें और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस काम में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी और यदि कोई व्यक्ति या संगठन इसके बीच में हस्तक्षेप करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने आदेश दिया कि दिल्ली, एमसीडी और एनएमडीसी जल्द से जल्द सभी क्षेत्रों, खासकर संवेदनशील इलाकों से कुत्तों को हटाएं। आवश्यकता पड़ने पर इसके लिए अलग बल का गठन करें। कोर्ट ने 28 जुलाई को संसद में पेश एक रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह मामला उठाया था, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में रेबीज के बढ़ते मामलों और बच्चों व बुजुर्गों की मौत पर चिंता जताई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच अहम आदेश दिए— (1) आठ हफ्तों में पर्याप्त स्टाफ और सीसीटीवी के साथ डॉग शेल्टर तैयार किए जाएं और नसबंदी के बाद कुत्तों को न छोड़ा जाए, (2) छह हफ्तों में 5,000 कुत्तों को पकड़ने का अभियान शुरू हो, संवेदनशील इलाकों से शुरुआत की जाए और बाधा डालने वालों पर कार्रवाई हो, (3) दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में रोजाना पकड़े गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखा जाए, नियम तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई हो, (4) एक हफ्ते में डॉग बाइट और रेबीज के लिए हेल्पलाइन शुरू हो और 4 घंटे में कार्रवाई कर कुत्ते को नसबंदी के बाद न छोड़ा जाए, (5) रेबीज वैक्सीन का पूरा स्टॉक उपलब्ध रहे और इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
कोर्ट ने कहा कि हर दिन दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कुत्तों के काटने के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कई मामलों में रेबीज फैल रहा है। रिपोर्ट को जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर इसे मुख्य न्यायाधीश (CJI) के समक्ष उचित आदेशों के लिए रखने का निर्देश दिया गया है।
इससे पहले, 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए तय जगह की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सार्वजनिक सुरक्षा पर चिंता जताई थी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा था कि जो लोग कुत्तों को खाना देना चाहते हैं, वे अपने घरों में दें, क्योंकि दोपहिया वाहन चालकों और सुबह टहलने वालों को कुत्तों के हमले का खतरा बना रहता है।
पशुपालन राज्य मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने 22 जुलाई को लोकसभा में बताया था कि वर्ष 2024 में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट के मामले आए, जिनमें 54 लोगों की मौत रेबीज से हुई। रिपोर्ट में दिल्ली की छह साल की बच्ची छवि शर्मा का मामला भी शामिल है, जिसे 30 जून को एक कुत्ते ने काट लिया था और इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई।
रिपोर्ट के पांच अहम तथ्य सामने आए— (1) वर्ष 2024 में 5,19,704 से ज्यादा पीड़ित 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे, (2) डॉग बाइट के हर सात पीड़ितों में एक बच्चा शामिल था, (3) वर्ष 2023 में 30.5 लाख और 2022 में 21.9 लाख डॉग बाइट के मामले आए, (4) डॉग बाइट के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए, (5) दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में साल दर साल 143% की वृद्धि हुई।
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