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स्नेह मिलन समारोह में झूमे विद्यार्थी: सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन, राम–सीता नाट्य रहा आकर्षण का केंद्र

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राजस्थान विद्यापीठ के लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में नवागंतुक विद्यार्थियों का हुआ स्वागत, प्रो. सारंगदेवोत बोले– विद्यार्थी संस्थान की धरोहर हैं


24 News Update उदयपुर, 7 अक्टूबर। राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी) के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में मंगलवार को स्नेह मिलन समारोह का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नवागंतुक विद्यार्थियों के स्वागत और आपसी परिचय को समर्पित रहा। समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसके पश्चात पूरे सभागार में उल्लास और उत्साह का वातावरण बन गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, तथा वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन और डॉ. अमी राठौड़ ने किया। स्नेह मिलन समारोह में विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। राजस्थानी, पंजाबी और हिन्दी रिमिक्स गीतों पर विद्यार्थियों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए। घूमर, घणी खम्मा नृत्य, गणपति वंदना, नवदुर्गा नृत्य और राम–सीता नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। पारंपरिक और आधुनिक संगीत के मेल से सजी इन प्रस्तुतियों ने सभागार में जोश और उल्लास भर दिया।

“विद्यार्थी संस्थान की धरोहर हैं” – प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत

कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी किसी भी संस्थान की असली धरोहर होते हैं। उन्हें सही दिशा देना शिक्षकों और संस्थान की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के लिए अनुशासन, समय प्रबंधन, क्रिटिकल थिंकिंग और कम्युनिकेशन स्किल्स जैसी योग्यताएँ बेहद जरूरी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि सत्र प्रारंभ होने से पूर्व इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य विद्यार्थियों के बीच संवाद और आत्मीयता को बढ़ाना है। महाविद्यालय विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सांस्कृतिक, खेल और शैक्षणिक गतिविधियों का नियमित आयोजन करता रहेगा।

“किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी जरूरी” – कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर
कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि विद्यार्थी केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि व्यवहारिक ज्ञान को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि आज तकनीकी युग में युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति और सभ्यता से दूर होती जा रही है, जो चिंता का विषय है। विद्यार्थियों को अपनी परंपराओं और मूल्यों से जुड़े रहना चाहिए ताकि वे समाज में सकारात्मक भूमिका निभा सकें। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने कुशलता से किया, वहीं आभार व्यक्त डॉ. रचना राठौड़ ने किया। कार्यक्रम में निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत ने जानकारी दी कि इस अवसर पर डॉ. भुरालाल श्रीमाली, डॉ. अनिता कोठारी, डॉ. अमीत दवे, डॉ. अमीत बाहेती, डॉ. हिम्मतसिंह चुण्डावत, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. इंदुबाला आचार्य, डॉ. नीतू व्यास, डॉ. सुभाष पुरोहित, डॉ. रोहित कुमावत, डॉ. रोमा सहित महाविद्यालय के अकादमिक एवं गैर-अकादमिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक फोटोग्राफी सत्र आयोजित हुआ, जिसमें नवागंतुक विद्यार्थियों ने अपने वरिष्ठों और शिक्षकों के साथ स्मृति चित्र लिए। पूरा समारोह उल्लास, ऊर्जा और आपसी स्नेह से सराबोर रहा।

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