24 News Update उदयपुर। विश्वविद्यालय विधि महाविद्यालय में पोक्सो (बालकों का लैंगिक अपराध से संरक्षण अधिनियम, 2012) पर आधारित एक अत्यंत शिक्षाप्रद और वास्तविक न्यायालयीन वातावरण प्रदान करने वाला मॉक ट्रायल आयोजित किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को वास्तविक अदालत की कार्यप्रणाली—जैसे FIR वाचन, साक्ष्य प्रस्तुति, जिरह, बहस और निर्णय लेखन—का व्यावहारिक अनुभव कराना था।
छात्रों ने अभियोजन और बचाव पक्ष की भूमिकाएँ निभाईं। मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्ट से लेकर गवाहों की पेशी और जिरह तक, संपूर्ण कार्यवाही वास्तविक अदालत की तरह प्रस्तुत की गई। “राज्य बनाम कमलेश” केस पर आधारित इस ट्रायल में न्यायालय की भूमिका निभा रही छात्र पीठ—जिसकी अध्यक्षता चित्रा जोशी ने की—ने प्रस्तुत साक्ष्यों और बहसों के आधार पर आरोपी कमलेश को दोषी मानते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई।
मॉक ट्रायल का संचालन ख्वाहिश पोखरना ने किया। इसमें विभिन्न भूमिकाएँ निभाने वाले छात्रों में जज चित्रा जोशी, सरकारी वकील भट्ट राम और हितेश जैन, बचाव पक्ष के वकील तमन्ना अंजुम और वर्षा व्यास शामिल रहे। गवाहों और अन्य न्यायालयीन पदों की भूमिकाएँ भी छात्रों ने उत्कृष्ट रूप से निभाईं।
इस मॉक ट्रायल की तैयारी अतिथि संकाय सदस्य डॉ. पायल शर्मा, डॉ. सतीश मीणा और डॉ. भारत नाथ योगी के मार्गदर्शन में की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ विधि महाविद्यालय अधिष्ठाता प्रो. आनंद पालीवाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व सेशन जज गोपाल बिजोरीवाल, एडिशनल एसपी उदयपुर उमेश ओझा और BCI सदस्य राव रतन सिंह उपस्थित रहे। अतिथियों ने छात्रों को मूट कोर्ट, कोर्ट क्राफ्ट, नए कानूनों के प्रभाव, तथा अधिवक्ताओं के जीवन में आने वाली चुनौतियों से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मार्गदर्शन दिया।
बड़ी संख्या में उपस्थित विद्यार्थियों ने न्यायालयीन वातावरण का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। अंत में डॉ. राजश्री चौधरी ने सभी अतिथियों, संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
विधि महाविद्यालय में पोक्सो अधिनियम पर आधारित यथार्थपरक मॉक ट्रायल, छात्रों ने सीखी अदालत की बारीकियाँ

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