जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को एसआई (सब इंस्पेक्टर) भर्ती 2021 में पेपर लीक मामले को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति समीर जैन ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा—“हम राजस्थान की जनता को पेपरलीक से बने थानेदारों के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं।” अदालत ने राज्य सरकार और एसओजी की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप
न्यायालय ने कहा कि एक ओर सरकार यह कहती है कि अभी भर्ती रद्द करना जल्दबाज़ी (प्री-मैच्योर) होगा, वहीं दूसरी ओर यह भी मान रही है कि पेपर लीक में आरपीएससी के सदस्य और कोचिंग माफिया शामिल हैं। अदालत ने पूछा—“सरकार दोहरा मापदंड कैसे अपना सकती है?”
एसओजी की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, “पहले कहा गया कि सही-गलत की पहचान संभव नहीं है, अब दावा किया जा रहा है कि सही-गलत को छांटा जा सकता है।” इस पर अदालत ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो एसआईटी हेड वीके सिंह या डीजीपी को तलब कर स्पष्टीकरण लिया जाएगा।
“कोर्ट पैरामीटर्स में नहीं बंधेगा”
सुनवाई की शुरुआत में चयनित अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एके शर्मा ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने तथ्यों को छिपाते हुए याचिका दायर की है, इसलिए इसे खारिज कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि याचिका में राज्य सरकार के वर्तमान निर्णय को चुनौती नहीं दी गई है।
इस पर अदालत ने स्पष्ट किया—“हम किसी तयशुदा दायरे (पैरामीटर्स) में बंधे नहीं हैं। जरूरत पड़ी तो हम याचिका से परे जाकर भी फैसला कर सकते हैं।”
भविष्य में 200 अभ्यर्थी दोषी पाए गए तो क्या होगा?
कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि वर्तमान में तो सिर्फ 50 अभ्यर्थियों को डिबार किया गया है, लेकिन यदि आगे की जांच में यह संख्या 200 तक पहुंचती है, तो सरकार क्या करेगी? इस पर चयनित अभ्यर्थियों की ओर से जवाब दिया गया कि “उस समय की परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।”

