24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। कुलपति के खिलाफ आंदोलन में अब तक एसएफएबी के कर्मचारियों को किसी का साथ नहीं मिला था। ना सांसद ना विधायक, सब के सब आश्वासनों की गोलियां दे गए। यहां तक कि पंजाब के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया और राजस्थान के राज्यपाल हरिभाउ बागड़े को ज्ञापन के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसएफएबी कर्मचारी महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार की थाने में शिकायत की परिवाद दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। सभी विधायकों, यहां तक कि डिप्टी सीएम को ज्ञापन दे दिया मगर कार्रवाई तो दूर महीनों से किसी ने पूछा तक नहीं कि क्या हुआ है? मंत्री बाबूलाल खराड़ी जो आज वीसी के खिलाफ बयान दे रहे हैं, उनका मुंह बयान के लिए तब भी नहीं खुला जब जनजाति वर्ग की महिला ने वीसी पर दुर्व्यवहार के आरोप लगाए। अब जबकि राजनीति चमकी है, सभी संगठन वीसी के खिलाफ एकजुट हुए हैं तब वही लोग एसएफएबी के मुद्दों को भी उठाकर अपना पक्ष मजबूत करते नजर आ रहे हैं। याने जब वेतन के लाले पड़े, आंदोलन में ताने सहे, अपनों की बेरूखियां झेलीं, अपमान सहे, तनख्वाह कटी, तब कोई साथ नहीं खड़ा था।

मेवाड़ के किसी भी नेता में इतना शायद दम ही नहीं था या फिर वो किसी उपरी दबाव में लाचार था, होंठ सिले बैठा था। यह विंडबना ही कहीं जाएगी कि पूरे आंदोलन में उन दोनों महिलाओं के न्याय की बात अब तक नहीं हो रही है जिनको वीसी ने निकाल दिया है, नियमों का भुर्ता बनाकर एसएफएबी की कर्मचारियें को अपने निजी काम के लिए अपने बंगले पर तैनात किया। अब इस मामले की जांच कौन करेगा? कमेटी कौन बिठाएगा, कौन न्याय दिलाएगा।

बहरहाल आज मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारी संगठन (भारतीय मजदूर संघ) ने आज अशोक नगर स्थित श्री आचार्य तरुण सागर जैन भवन में आपात बैठक आयोजित कर कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा के विवादित बयानों की तीव्र निंदा की। संगठन ने विश्वविद्यालय में उत्पन्न विषम परिस्थितियों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
संयोजक श्री नारायण लाल सालवी ने बताया कि हाल ही में आयोजित एक संगोष्ठी में कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा द्वारा मुगल आक्रांता औरंगजेब एवं अकबर को कुशल प्रशासक बताने का दुस्साहस किया गया, जिससे मेवाड़ की गौरवशाली ऐतिहासिक धरोहर और स्थानिक जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुँची। इसके अतिरिक्त, संविदा कर्मचारी श्रीमती किरण तंवर की राजपूती पोशाक को नगर वधू की पोशाक बताकर अपमानित किया जाना भी संगठन के लिए अस्वीकार्य है।

संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों का विधि-विरुद्ध निष्कासन किया गया, जिसे पूर्णतया निंदनीय और अनुचित बताया गया।

इसके अतिरिक्त, संविदा/एस.एफ.एस. कर्मचारी संगठन ने अपनी पांच सूत्री मांगों के लंबित समाधान पर गंभीर असंतोष व्यक्त किया। संगठन ने चेतावनी दी कि वर्तमान कार्यादेश केवल 30 सितम्बर, 2025 तक है। यदि प्रशासन ने तत्परता से कार्यादेश नहीं जारी किया, तो 1 अक्टूबर से पुनः व्यापक धरना आंदोलन को बाध्य होना पड़ेगा।

बैठक को श्री करणी सेना के संभागीय अध्यक्ष डॉ. परमवीर सिंह दुलावत ने भी संबोधित किया व कहा कि कुलपति का कृत्य बर्दाश्त से बाहर है। अब जब तक वे कुर्सी से हटाई नहीं जाएगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। संगठन अध्यक्ष नारायण लाल सालवी ने करणी सेना सहित सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के उदयपुर बंद के आव्हान पर पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। बैठक में संगठन के समस्त पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।


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By desk 24newsupdate

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