Site icon 24 News Update

धर्म का चोला पहनने वाले ‘‘रील प्रेमियों’’ से सावधान रहने की जरूरत !!!

Advertisements

24 News Update Udaipur. क्या लेकसिटी अब रील वालों की सिटी बन चुकी है। क्या अब यहां पर धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ करके अपनी धार्मिक छवि बनाने वाले रील-वीरों में खुद को स्थापित करने की होड़ मची हुई है? धर्म वाला कॉस्ट्यूम पहन कर सोशल मीडिया के सहारे राजनीति चमकाने वालों को क्या अब पहचानने और किनारे लगाने का वक्त आ गया है?
लोग कहने लगे हैं कि झीलों की नगरी रीलों की नगरी हो गई है। उदयपुर शहर में एक नया धर्म शुरू हो गया – रील धर्म। इस धर्म के प्रवर्तक और मसीहा हाथ में मोबाइल और सोशल मीडिया पर अपनी रीलों की धमक से अपना स्टेटस बढ़ाते नजर आ रहे हैं। जिनके कंधों पर समाज को राह दिखाने का जिम्मा है वे सोशल मीडिया के कंधों पर चढ़कर फेक बिलीफ सिस्टम बनाने की तैयारी कर रहे हैं। ये चाहते हैं कि लोग इन्हें ‘‘स्क्रॉल’’ करते हुए और प्रशंसा में भाव विभोर होकर नतमस्तक होते नहीं थकें।


इनके पास कई रंगों के चोले हैं। धर्मगुरु का चोला ओढ़े हुए ‘‘रील प्रेमी’’ कैमरे के सामने उतने ही नाटकीय दिखाई देते हैं जितने कैमरे के पीछे बेताब दिखाई देते हैं। आस-पास का वातावरण भी अब स्टूडियो-सेट में बदल चुका है। वीडियो की पृष्ठभूमि में ट्रेंडिंग म्यूजिक गूंजता है, ‘‘लाइक, शेयर, सब्सक्राइब’’ की जपमाला चलती रहती है। कसावट भरी एडिटिंग और टशन से भरा हुआ हर एक फ्रेम दिखाई देता है। रील जीवियों का जीवन ही इतना फ़िल्मी हो गया है कि लगता है जैसे मोक्ष का मार्ग भी अब इंस्टाग्राम फिल्टर से होकर इनके रास्ते ही गुजरेगा। मोक्षधाम तक इनकी जद में आ गए हैं व वहां भी ये रील बनाने से नहीं चूक रहे हैं। इनका कास्ट्यूटम, गेटअप, बॉडी लेंग्वेज, वस्त्र और केश विन्यास सब कुछ फिल्मी है। जल्दी पब्लिसिटी पाने की भूख, धर्म के बहाने खुद की लार्जर देन लाइफ इमेज बनाने की भूख इनसे आजकल ना जाने क्या-क्या करवा रही है। ये बयानवीर कभी पब्लिसिटी के लिए डांडिया-गरबा पर कमेंट करके सुर्खियां बंटोर रहे हैं तो कभी किसी अन्य धार्मिक मामले पर।
युवा पीढ़ी को अपने बोल वचन वाला ज्ञान देने का दावा करने वाले ये रील वीर अब अपने इस ज्ञान को 15 सेकंड के रील में जबर्दस्त पैकेजिंग के साा परोस रहे हैं, धर्म का तड़का लगा के।


यह वही लोग हैं जो कल तक कहीं संघर्ष की राह पर अग्रसर थे। स्टार्टप की तलाश थी। मगर अब धर्म की डोर थाम कर ‘‘कमेंट सेक्शन’’ में तालियों और इमोजी के सहारे सफलता की सीढ़ियां चढ़ने का दंभ भर रहे हैं।
ध्यान रहे, अगर युवा इन रीलवीरों की असल जिंदगी की कुंडली खंगालेंगे तो पता चलेगा कि इसमें जमीन आसमान का फर्क है। चर्चित किस्से और कारनामों की कोई कमी नहीं है।

युवाओं को सावधान रहने की जरूरत

‘‘रील प्रेमियों’’ या रील जीवियों के उपदेशों के भंडारे सोशल मीडिया के एलबम तक सीमित हैं। धर्म का चोला पहनकर कुछ लोग डिजिटल लाइक्स का व्यापार कर रहे हैं। धर्म और आध्यात्मिकता की आड़ में अपने लिए एक राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। इस तरह से इनका कॅरियर बिल्ड अप हो रहा है। कभी धर्म का तड़का, कभी राजनीति का तड़का तो कभी सोशल वर्क का तड़का। युवाओं को ऐसे रील-जीवियों से सावधान रहने की जरूरत तो है ही, इनकी खोज खबर प्रशासन को भी रखने की जरूरत है। इनके पास फॉलोअर्स का ऐसा आधार है जिसके जरिये से ओपीनियन को मोल्ड करने की क्षमता विकसित कर चुके हैं या करने की कगार पर हैं। ऐसे में इनके शुभचिंतक हर पार्टी, हर दल में देखे जा सकते हैं।

आप इनकी गतिविधियों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि बहुत कुछ फिल्मी हैं। युवाओं को चाहिए कि ऐसे लोगों को फॉलो करने से पहले उनका रियल लाइफ प्रोफाइल जरूर खंगाल लें, पूरा प्रोफाइल स्कैन कर लें। वरना बाद में पता चलेगा कि जिनको वे फोलो कर रहे थे वो तो बहरूपिया और धर्म का ठेकेदार के रूप में सामने आ गया!!!!

Exit mobile version