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- बजेगा सायरन, हो जाएगी बत्ती गुल, आधे घंटे के ब्लैकआउट में परखेंगे तैयारियां
24 न्यूज अपडेट उदयपुर। 7 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों पर राजस्थान के 28 शहरों में एक मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें युद्ध जैसी स्थितियों में नागरिक सुरक्षा के उपायों की जांच की जाएगी। यह ड्रिल देशभर में 1971 के बाद पहली बार हो रही है। इस ड्रिल के दौरान सायरन बजाए जाएंगे, और इन सायरनों के बजते ही इन शहरों में आधे घंटे का ब्लैकआउट लागू किया जाएगा। इस ड्रिल का उद्देश्य युद्ध के दौरान नागरिकों को सही तरीके से सुरक्षा उपायों का पालन करने के लिए तैयार करना है।
सायरन की टेस्टिंग और उनकी कार्यप्रणालीः
सायरन हवाई हमले के दौरान नागरिकों को चेतावनी देने के लिए बजाए जाते हैं। ये सायरन हाथ से चलाए जाते हैं और इनकी रेंज 400 से 500 मीटर तक होती है। सायरन की आवाज से नागरिकों को यह संकेत मिलता है कि किसी आपातकालीन स्थिति का सामना करना है। हमले की स्थिति मेंः सायरन को रुक-रुक कर दो बार बजाया जाता है। इसका मतलब है कि हमले की स्थिति गंभीर है, और नागरिकों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। स्थिति सामान्य होने परः सायरन एक बार बजाया जाता है, जिससे नागरिकों को यह संकेत मिलता है कि स्थिति अब सामान्य हो गई है और कोई खतरा नहीं है।
ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल
मॉक ड्रिल के दौरान, जैसे ही सायरन बजेंगे, इन शहरों में बिजली बंद कर दी जाएगी, जिसे ब्लैकआउट कहा जाता है। ब्लैकआउट का उद्देश्य नागरिकों को यह सिखाना है कि किसी आपातकालीन स्थिति में उन्हें अंधेरे में कैसे सुरक्षित रहना है और किसी प्रकार की रोशनी का उपयोग कैसे नहीं करना है। इस दौरान सभी सार्वजनिक और व्यक्तिगत लाइटें, टार्च, मोबाइल लाइट और सड़क की लाइटें बंद कर दी जाएंगी।
संवेदनशील शहरों की सूची
केंद्र सरकार ने राजस्थान के शहरों को सुरक्षा की दृष्टि से तीन कैटेगरी में बांटा है। सबसे संवेदनशील शहरः कोटा और रावतभाटा को सबसे संवेदनशील शहरों के रूप में चिन्हित किया गया है। इसका कारण रावतभाटा में स्थित न्यूक्लियर पावर प्लांट और कोटा का नजदीकी क्षेत्र है, जहां थर्मल पावर प्लांट और यूरेनियम की बड़ी मात्रा मौजूद है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण और संवेदनशील है। कम संवेदनशील शहरः जयपुर सहित 18 शहरों को दूसरी कैटेगरी में रखा गया है, जो कम संवेदनशील माने जाते हैं। इन शहरों में युद्ध की स्थिति में सायरन बजाए जाएंगे, लेकिन इनकी सुरक्षा व्यवस्था उतनी कड़ी नहीं होगी जितनी कि सबसे संवेदनशील शहरों में। सबसे कम संवेदनशील शहरः आठ शहरों को सबसे कम संवेदनशील माना गया है, जिनमें सुरक्षा के उपाय थोड़े ढीले होंगे।
मॉक ड्रिल की प्रक्रिया और तैयारियाँः
मॉक ड्रिल की तैयारियों के तहत, विभिन्न शहरों में सायरन की टेस्टिंग की गई है। इस टेस्टिंग के दौरान यह देखा गया कि सायरन ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। साथ ही, जो सायरन खराब थे, उन्हें सुधारने के निर्देश दिए गए हैं। जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, कोटाः इन शहरों में सायरन बजाए गए और इसकी टेस्टिंग की गई। साथ ही, इन शहरों के कलेक्ट्रेट, शास्त्री नगर, चांदपोल जैसे प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा उपायों का परीक्षण किया गया। स्कूल और हॉस्टलः जैसलमेर जैसे शहरों में स्कूलों और हॉस्टलों में भी मॉक ड्रिल की प्रैक्टिस की गई, जहां बच्चों को सुरक्षा उपायों के बारे में ट्रेनिंग दी गई। बच्चों को बताया गया कि सायरन बजने पर उन्हें क्या करना है और कैसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी है।
शहरी क्षेत्रों में सायरन बजने की प्रक्रियाः
जयपुर में सायरन के बजने का समय और स्थान पहले से निर्धारित किया गया है। 7 मई को शाम 4 बजे, जयपुर में सायरन बजाए जाएंगे। शहर में कलेक्ट्रेट, शास्त्री नगर, एमआई रोड, चांदपोल पावर हाउस, राजभवन, सचिवालय और कई अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सायरन लगाए गए हैं। इन क्षेत्रों में सायरन की आवाज सुनकर शहरवासी सर्तक होंगे और अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।
सिविल डिफेंस और सुरक्षा अधिकारियों की भूमिकाः
सिविल डिफेंस के अधिकारियों और वॉलंटियर्स को पूरे राज्य में तैनात किया गया है, जो मॉक ड्रिल के दौरान नागरिकों को निर्देश देंगे और उनका मार्गदर्शन करेंगे। इन वॉलंटियर्स को पहले ही ट्रेनिंग दी गई है कि उन्हें सायरन की आवाज के बाद क्या करना है, और किस तरह से नागरिकों को सुरक्षित निकालने का काम करना है।
मॉक ड्रिल के उद्देश्यः
मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी आपातकालीन सेवाएं, जैसे पुलिस, फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीम, आपस में समन्वय बनाए रखें और किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम हों। इस ड्रिल से अधिकारियों को यह समझने का मौका मिलता है कि किस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है और आपातकालीन स्थितियों के दौरान किन कदमों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है।
ड्रोन पर रोक और सुरक्षा प्रोटोकॉलः
कुछ जिलों, जैसे श्रीगंगानगर में, ड्रोन के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि मॉक ड्रिल के दौरान किसी प्रकार की अनचाही गतिविधियाँ न हों। ड्रोन संचालन के लिए रेड, येलो और ग्रीन जोन जैसी अलग-अलग श्रेणियाँ बनाई गई हैं, और रेड और येलो जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए विशेष अनुमति ली जानी होगी।
इतिहास में मॉक ड्रिलः
इस तरह की मॉक ड्रिल 1962 के चीन युद्ध, 1965 और 1971 के पाकिस्तान युद्ध के दौरान की गई थीं। 1971 के बाद यह पहली बार है जब इस प्रकार की ड्रिल पूरे देश में आयोजित की जा रही है। राजस्थान के सरहदी क्षेत्रों के नागरिकों का कहना है कि 1971 के बाद पहली बार वे इस प्रकार की तैयारियों को देख रहे हैं।
नागरिकों को सुरक्षा के उपायों के बारे में अवगत करानाः
सभी नागरिकों को बताया जा रहा है कि यदि सायरन बजते हैं, तो उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें केवल अलर्ट रहना है और सिविल डिफेंस द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना है। प्रशासन ने यह भी कहा है कि नागरिकों को इस दौरान आपस में मदद करने के उपायों के बारे में अवगत कराया जाएगा, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में एक-दूसरे की सहायता की जा सके।

