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बच्चों की कोशिशों से सफल हुआ उदयपुर में ब्लैकआउट, स्कूलों में दिखाए वीडियो का जबर्दस्त असर, 15 मिनट का अंधेरा दे गया ‘‘‘सतर्क रहेंगे, सेफ रहेंगे’’ का संदेश

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार बुधवार रात शहर में ब्लैकआउट किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी इस मुहिम में शहर सहित जिले भर में आमजन ने अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए स्वस्फूर्त रूप से लाइटस् बंद रखी। इस दौरान 15 मिनट के लिए मानो लेकसिटी अंधेरे में खो सी गई। सड़कों पर यातायात कई जगह पर करीब-करीब थम गया। इस मुहिम में सबसे ज्यादा योगदान बच्चों का रहा। बड़ों से ज्यादा उन्होंने ब्लैकआउट को सफल बनाने की कमान संभाली। जिला प्रशासन की ओर से यह खास काम किया गया कि स्कूलों में बच्चों को सुरक्षा वाले वीडियो क्लिप दिखाए गए, कई जगह मॉक ड्रिल की गई जिसमें बच्चों ने बच्चों को ब्लैकआउट में क्या करना है यह सिखाया। इसका नतीजा यह रहा कि स्कूल से आने के बाद बच्चों ने घरों में मोर्चा संभाल लिया और सायरन बजने का इंतजार करने लगे। सायरन बजते ही बच्चों ने खिडकी दरवाजे बंद कर दिए, लाइटें बंद करवा दी व जिन बड़ों के हाथों में मोबाइल थे, उनको बंद करने की हिदायत देते हुए 15 मिनट के लिए खामोश करवा दिया। इस प्रकार सिविक सेंस में जागरूकता व सजगता का यह प्रयोग सफल रहा।

उदयपुर जिले में जिला कलक्टर नमित मेहता एवं पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल के निर्देशन में बुधवार रात 8.45 बजे ब्लैकआउट घोषित किया गया। जिला कलक्टर मेहता, एसपी योगेश, एडीएम प्रशासन दीपेंद्रसिंह राठौड़ कलक्ट्रेट कैम्पस में मौजूद रहे। ठीक 8.45 बजे कलक्ट्रेट कार्यालय सहित शहर में चिन्हित 10 स्थलों से सायरन बजाए गए। इसी दौरान जिले के प्रत्येक उपखण्ड मुख्यालयों पर भी सायरन बजाए गए। हालांकि उदयपुर में कई इलाकों में सायरन की आवाज ही नहीं आई। प्रशासन चाहता तो रिकॉर्डेंड ऑर्डियो से सभी धार्मिक स्थानों से भी सायरन बजवा सकता था। लगभग सभी जगहों पर लाउड स्पीकरों की व्यवस्था हैं इसके अलावा कुछ निजी संस्थाओं के पास भी यह सुविधा है जिसका प्रयोग हो सकता था।
उदयपुर में सायरन बजने के साथ ही लोगों ने अपने घरों, प्रतिष्ठानों, कार्यालयों आदि की लाइटस् बंद कर दी। सार्वजनिक स्थलों व सरकारी कार्यालयों, आवासों आदि स्थलों पर लाइटस् बंद रही। आमतौर पर देर रात जगमगाने वाला शहर देखते ही देखते अंधेरे में खो सा गया। सायरन बजने के साथ यात्रा कर रहे नागरिकों ने भी अपने-अपने वाहन सड़क किनारे लगाते हुए उनकी लाइटस् बुझा दी। इससे सड़कों पर सन्नाटा सा पसर गया। हालांकि यह केवल अंदरूनी शहर व बाहर के कुछ इलाकों में ही हुआ। 15 मिनट बाद ठीक 9 बजे दोबारा सायरन बजाए गए। इसके साथ ही लाइट्स शुरू होना प्रारंभ हो गई और कुछ ही क्षणों में शहर फिर जगमगा उठा। सड़कों पर पूर्ववत् यातायात शुरू हो गया।

नासमझी दिखाने वालों की भी कमी नहीं


यह मौका बरसों बाद आया था मगर नासमझी दिखाने वालों की भी कमी नहीं देखी गई। कई जगहों पर मॉल व बड़ी बिल्डिंग में रोशनी देखी गई। कई दुकानदार दुकानों को बंद करके घर चले गए मगर उनकी दुकानों के साइन बोर्ड रोशन थे। शराब की कई दुकानों पर बत्ती जलत हुई देखी गई तो कुछ लोग मोबाइल लेकर छतों पर चढ़े हुए आए जैसे कोई मनारंजक नजारा देखना हो। जबकि यह ड्रिल राष्ट्रीय सुरक्षा की थी व उसे गंभीरता से लेना था। इधर, कुछ इलाकों में बत्ती गुल हो गई जो कई घंटों बाद तक बहाल नहीं हो सकी। लोगों ने कहा कि आरएसईबी की कृपा से ऐसे ब्लैकआउट तो दिन में दस बार होते हैं। जिनके घरों में इनवर्टर हैं उनमें से भी एक चौथाई ने ही बंद किए बाकी सब जगह चलते रहे। ऐसे में यह यदि वास्तव में हमले जैसी स्थिति हो तब हमारी तैयारियां ब्लैकआउट के सिविक सेंस के मामले में कमजोर नजर आ रही है इसे बार बार पुख्ता करने की जरूरत है।

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