24 न्यूज अपडेट, अहमदाबाद। भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान शुक्रवार सुबह खाड़िया क्षेत्र में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब रथ यात्रा में शामिल एक नर हाथी अचानक बेकाबू होकर 100 मीटर तक दौड़ गया। तेज डीजे और सीटी की आवाज से उत्तेजित हुआ यह हाथी रथयात्रा में सबसे आगे चल रहा था। अचानक हाथी के दौड़ते ही सड़कों पर भगदड़ मच गई, लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए। बड़ा सवाल यह उठा कि क्या प्रशासन एकदम अंधा हो गया है कि बडे आयोजनों में जहां पर भीड़भाड की पूरी संभावना हो, वहां पर हाथियों को अनुमति ही क्यों देता है। यदि जरूरी भी हो तो खुले रास्तों पर भीड़़ को नियत्रित कर आस्था की रस्में निभाई जा सकती हैं।
घटना के मुख्य बिंदुः
रथ यात्रा के दौरान शामिल 17 हाथियों में सबसे आगे चल रहा नर हाथी डीजे व सीटी की तेज आवाज से घबरा गया। वह अचानक पोल गली की ओर दौड़ पड़ा, रास्ते में बैरिकेड्स तोड़े और कुछ लोगों को गिरा दिया, हालांकि किसी को गंभीर चोट नहीं आई। हाथी को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग की टीम ने दो मादा हाथियों की मदद ली, जिनकी उपस्थिति से वह शांत हुआ। इसके बाद बेकाबू नर हाथी और दोनों मादा हाथियों को रथ यात्रा से हटा दिया गया।
हाथी की बेकाबू दौड़ से मची भगदड़
घटना के समय हजारों श्रद्धालु और दर्शक सड़कों पर मौजूद थे। अचानक हाथी के दौड़ने से भगदड़ मच गई और लोगों में डर का माहौल बन गया। लगभग 100 मीटर तक दौड़ते हुए हाथी ने कुछ बैरिकेड्स गिरा दिए और भीड़ में घुस गया, लेकिन सतर्कता से किसी को गंभीर नुकसान नहीं हुआ।
महावत ने की कोशिश, फिर मादा हाथियों से काबू पाया
जब हाथी बेकाबू हुआ, तो सबसे पहले महावत ने नीचे उतरकर उसे रोकने की कोशिश की। लेकिन स्थिति बिगड़ती देख वन विभाग को बुलाया गया। विभाग के अधिकारी आर.के. साहू ने बताया कि “हाथी को हाथी ही काबू कर सकता है, इसलिए दो प्रशिक्षित मादा हाथियों को बुलाया गया। उनकी उपस्थिति से नर हाथी शांत हुआ।” बाद में तीनों को खाड़िया क्षेत्र में सुरक्षित स्थान पर ले जाकर बांध दिया गया।
रथ यात्रा में हाथियों की स्वास्थ्य निगरानी व्यवस्था
अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल हाथी हमेशा आकर्षण का केंद्र होते हैं, और उनके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है। 23 जून से लगातार स्वास्थ्य निगरानीः अहमदाबाद के उप पशुपालन निदेशक सुकेतु उपाध्याय के अनुसार 23 जून से ही सभी हाथियों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर नजर रखी जा रही थी। सभी हाथियों का हेल्थ चेकअप कर हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया गया था। वेटरनरी टीम इस बात की निगरानी करती है कि कोई बीमारी, मक्खी या कीड़े उन्हें परेशान न करें।
डार्ट गन से नियंत्रण की भी व्यवस्था
यदि कोई हाथी मानसिक संतुलन खो देता है, तो वन विभाग की टीम डार्ट गन से ट्रैंक्विलाइज़र (नींद का इंजेक्शन) देकर उसे नियंत्रित करती है। यह उपाय आपात स्थिति में उपयोग किया जाता है। रथ यात्रा के दौरान वन विभाग और पशुपालन विभाग की टीमें हाथियों के साथ लगातार तैनात रहती हैं।
हाथियों की संख्या व महावतों की भूमिका
इस वर्ष की रथ यात्रा में कुल 17 हाथी शामिल किए गए थे। सभी हाथियों के साथ उनके महावत भी मौजूद थे, जिनकी जिम्मेदारी हाथियों को नियंत्रित रखने की थी। घटना के बाद बचे हुए 14 हाथियों के साथ यात्रा शांतिपूर्वक आगे बढ़ी।

