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राजस्थान भर्ती परीक्षाओं में बड़ा सुधार: एडमिट-कार्ड पर परीक्षा-केंद्र की गूगल लोकेशन व मुख्य द्वार की फोटो; समय सुबह 11 बजे

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24 News Update जयपुर. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSCB) ने भर्ती परीक्षाओं के स्वरूप में अहम परिवर्तन की घोषणा की है। बोर्ड ने कहा है कि 2 नवंबर को आयोजित होने वाली ग्रामीण विकास अधिकारी (RDO) भर्ती परीक्षा से इसे पायलट के तौर पर लागू किया जाएगा — शुरुआत जयपुर और कुछ जिलों में होगी और सफल होने पर इसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
बोर्ड की नई व्यवस्था के तहत अभ्यर्थियों को उनके एडमिट-कार्ड/ऑनलाइन पोर्टल पर अब परीक्षा केंद्र की गूगल लोकेशन लिंक और उसी केंद्र के मुख्य द्वार की फोटो उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही बोर्ड ने परीक्षा का प्रारंभिक समय पूर्व के सुबह 9 बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया है। ड्रेस-कोड संबंधित स्पष्ट गाइडलाइन भी एडमिट-कार्ड पर छापकर और प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर प्रदर्शित की जाएगी।
कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने बताया कि पिछले वर्षों में कई परीक्षार्थी गलत केंद्र पर पहुँचने या देर से सही स्थान तलाशने के कारण परीक्षाओं से वंचित हुए हैं। ऐसे मामलों के समाधान और अभ्यर्थियों की असुविधा घटाने के उद्देश्य से यह व्यवस्था लाई जा रही है। बोर्ड ने यह भी कहा कि इस बदलाव से अधिकांश अभ्यर्थियों को दूसरे शहर में रात बिताने की आवश्यकता नहीं रहेगी, जिससे आर्थिक-लॉजिस्टिक भार घटेगा। बोर्ड के एक आंतरिक सर्वे का लगभग 50% हिस्सा पूरा हो चुका है, और इसी आधार पर यह पायलट निर्णय लिया गया है।
कब और कैसे लागू होगा — क्या बदलेगा
2 नवम्बर से शुरू होने वाले पायलट में जयपुर के साथ कुछ चयनित जिलों के केंद्र शामिल होंगे। एडमिट-कार्ड में प्रकाशित गूगल-लोकेशन लिंक क्लिक कर अभ्यर्थी सीधे मोबाइल-मैप से मार्ग निर्देश पा सकेंगे; साथ में दी गई फोटो से वे केंद्र का प्रवेश द्वार पहचान सकेंगे। नया समय — सुबह 11 बजे — बोर्ड का उद्देश्य है कि सुबह की कड़ी-ट्रैफिक व तड़के-निकलने की बाधा कम हो और लोग सुरक्षित-तर ढंग से परीक्षा केंद्र पहुँच सकें।
लाभ और व्यावहारिक असर
बोर्ड के अनुसार, इससे अभ्यर्थियों की गफलत घटेगी, हाजिरी बढ़ेगी और भर्ती प्रक्रिया अधिक समावेशी बनेगी। छोटे शहरों व ग्रामीण इलाकों के उम्मीदवारों के लिए रातभर होटल ठहरने का खर्च घट सकता है। ड्रेस-कोड गाइडलाइन के स्पष्ट रूप से छपने से केंद्रों पर प्रवेश में असमंजस की आशंका भी कम होगी।

लेकिन चुनौतियाँ भी हैं
नए सुधारों के संभावित पक्षों के साथ कुछ प्रश्न भी उठते हैं — विशेषकर डिजिटल पहुंच और गोपनीयता को लेकर। ग्रामीण या सीमित स्मार्टफोन-सुविधा वाले अभ्यर्थियों के लिए गूगल-लिंक उपलब्ध कराना तभी असरदार होगा जब वे उस तक पहुँच रखता हों। इसके अलावा केंद्र की फोटो और लोकेशन के डिजिटल-प्रचार से संबंधित सुरक्षा और धोखाधड़ी की चिंताएँ भी प्रशासन को ध्यान में रखनी होंगी — उदाहरण के लिए, नकली फोटो/लिंक फैलने की संभावना। साथ ही सुबह 11 बजे से शुरू करने पर ट्रैफिक-पीक, केंद्र-प्रबंधन की अनुकूलता और निगरानी व्यवस्था कैसी रहेगी— ये देखने वाली बातें रहेंगी।

क्या करना चाहिए — बोर्ड के कदम आगे
विशेषज्ञों के मतानुसार, पायलट चरण में बोर्ड को नीचे-लिखित चीजें सुनिश्चित करनी चाहिए:
एडमिट-कार्ड पर दिए गए लिंक/फोटो की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के तकनीकी उपाय;
डिजिटल न पहुँच वाले अभ्यर्थियों के लिए वैकल्पिक सूचना व्यवस्था (SMS, काउंसल-हेल्पलाइन, जिला-सूचना केंद्र);
ड्रेस-कोड से जुड़ी असंगतियों को रोकने हेतु केंद्र-प्रशिक्षण और स्पष्ट साइनबोर्ड;
पायलट के उपरांत अभ्यर्थियों से विस्तृत फीडबैक लेकर सुधार।

अभ्यर्थियों के लिए त्वरित सुझाव (साइडबार)
एडमिट-कार्ड ध्यान से पढ़ें — Google-link और गेट-फोटो देखें।
परीक्षा के दिन कम-से-कम एक घंटे पहले केंद्र पर पहुँचें।
मोबाइल में लिंक खुले न तो उसकी स्क्रीनशॉट बचा लें और केंद्र-प्रबंधन से पुष्टि करें।
ड्रेस-कोड की निर्देशिका अपना लें — एडमिट-कार्ड व केंद्र पर लगे बोर्ड के नियम ही मान्य होंगे।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का कहना है कि यह पहल अभ्यर्थियों की सुविधा और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में पहला बड़ा कदम है।

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