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भगवान पारसनाथ निर्वाण दिवस मुकुट सप्तमी श्रद्धा के साथ मनाया

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के पुनर्वास कॉलोनी मे आर्यिका विकाम्याश्री माताजी ससंघ सानिध्य मे भगवान पारसनाथ निर्वाण दिवस मुकुट सप्तमी मनाते हुए 23 किलो का विशाल निर्वाण लाडू चढ़ाया।
प्रतिष्ठाचार्य विनोद उर्फ विरल पगारीया ने बताया की जैन आगम की वर्तमान चौबीसी के 23 वे तीर्थंकर पारसनाथ भगवान का निर्वाण दिवस गुरुवार 31 जुलाई को प्रातः विमलनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर पुनर्वास कॉलानी मे स्थानीय सकल दिगम्बर जैन समाज द्वारा चातुर्मास आराधनारत श्रमणी आर्यिका विकाम्याश्री माताजी ससंघ के सानिध्य मे तथा प्रतिष्ठचार्य पंडित विनोद पगारिया विरल के तत्वावधान मे श्रद्धा व उमंग के साथ मनाया गया । इस अवसर पर गुरुवार को प्रातः मन्दिर के समीप सभागार मे नवानिर्मित भगवान पारसनाथ की मोक्ष स्थली तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की प्रतिकृति का अनावरण जय प्रकाश अमीचन्द गोवाडिया परिवार द्वारा किया गया इसके बाद इन्द्र इन्द्राणी समूह द्वारा पाण्डूक शिला मे विराजित पारसनाथ भगवान की प्रतिमा का विविध द्रव्य पूरित कलशों से अभिषेक किया गया तथा आर्यिका विकाम्याश्री माताजी के मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिमा पर विश्व शांति कामनार्थ शांतिधारा सौधर्म इन्द्र दर्पण जीतमल दोसी परिवार द्वारा की गयी साथ ही समाधिस्थ आचार्य विमल सागरजी महाराज की प्रतिमा पर शांतिधारा सुमति लाल सरिया परिवार द्वारा की गयी इसके बाद प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया द्वारा मुख्य विधान मंडप सहित कुल 44 कल्याण मन्दिर पारसनाथ विधान मण्डप पर मण्डप प्रतिष्ठा , दिक बन्धन , दिग्पाल स्थापना दीप स्थापना तथा पंच मंगल कलश स्थापना विधि करायी गयी। इस अवसर पर कल्याण मन्दिर विधान मण्डप पर आचार्य कुमुदचन्द्र सूरि रचित कल्याण मंदिर स्रोत के 44 श्लोकों का उच्चारण करते हुए प्रत्येक विधान मंडप पर इन्द्र इन्द्राणी समूह द्वारा अष्ट द्रव्य युक्त अर्घ समर्पित किये गये। पारसनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक अवसर पर निर्वाण का प्रतीक 23 किलों का विशाल निर्वाण लाडू मंच पर नवनिर्मित सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की प्रतिकृति पर स्थित सुर्वण भद्र टूक पर निर्वाण काण्ड पाठ उच्चारण के साथ रुशाली यमन नीरज संघवी सागवाड़ा परिवार द्वारा भक्ति के साथ चढाया साथ ही भगवान पारसनाथ के जीवन चरित्र पर आर्यिका विकाम्याश्री माताजी का प्रवचन हुआ। शांतिपाठ आरती विसर्जन विधि के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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