रिश्वतखोर सिस्टम की रग रग में बसकर खून चूस रहे हैं और राष्ट्रद्रोह जैसा काम कर रहे हैं। हर बार पकड़े जाने पर लगता है कि यह आखिरी होगा मगर यह तो अमरबेल हैं। यह तो अथाह समंद सा है जहां पर छोटी मछलियां पकड़ी जाती हैं। बड़ी फिर शिकार पर निकल जाती है। रग-रग में बसे इस खाओ खिलाओ के दस्तूर को कैसे खत्म किया जाए इसकी परवाह सच कहें तो जनता को भी नहीं है। ईजी मनी की यह चेन केवल नीचे तक ही चलती होगी, यह सोचना ही बेमानी है। यह उपर तक जाती है और तार राजनेताओं तक जुड़ते हैं। फिलहाल उदयपुर में एसीबी की कार्रवाई ने जाहिर कर दिया है कि वन विभाग रिश्वतखोरों का अभयारण्य बनता जा रहा है। यहां हाथी, गैंडे और रंगे सिंयार इंसानी चोला पहन कर खूब कमाई करते नजर आ रहे हैं।
उदयपुर, 24 न्यूज अपडेट।
भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) उदयपुर की इंटेलिजेंस यूनिट ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस कार्रवाई के तहत क्षेत्रीय वन अधिकारी (रेंज उदयपुर पश्चिम) धीरेंद्र सिंह और वन रक्षक अब्दुल रऊफ को ₹4,61,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।
रिश्वत की मांग और खेल का पर्दाफाश
सूत्रों के मुताबिक, परिवादी ने वन विभाग से भौतिक सत्यापन करवाने के बाद अलग-अलग राशि के बिल पेश किए थे, जिनकी कुल राशि ₹34,43,000 थी। इन बिलों को पास करने के एवज में क्षेत्रीय वन अधिकारी धीरेंद्र सिंह ने परिवादी से 12.40% कमीशन की रिश्वत मांगी। यह रिश्वत डीएफओ मुकेश सेनी, सीसीएफ सेडूराम यादव, स्वयं और अधीनस्थ स्टाफ के लिए मांगी जा रही थी।
इतना ही नहीं, क्षेत्रीय वन अधिकारी ने परिवादी से यह तक कह दिया कि 12.40% में से 10.60% रिश्वत राशि तो उच्च अधिकारियों के पास जाएगी।
कैसे हुआ खुलासा?
भ्रष्टाचार की इस शिकायत पर इंटेलिजेंस यूनिट के प्रभारी डॉ. सोनू शेखावत के नेतृत्व में एक विशेष योजना बनाई गई। जैसे ही आरोपियों ने रिश्वत की रकम स्वीकार की, एसीबी की टीम ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया।
कार्रवाई के बाद मचा हड़कंप
इस मामले के उजागर होते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया। अब ACB इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि इस भ्रष्टाचार में और कौन-कौन शामिल है और पहले भी इस तरह की अवैध उगाही की गई है या नहीं।
आगे की जांच और संभावित गिरफ्तारियां
एसीबी अधिकारियों के मुताबिक, यह सिर्फ शुरुआती कार्रवाई है और आगे भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। जांच के बाद डीएफओ मुकेश सेनी और सीसीएफ सेडूराम यादव की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है, जिस पर जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
ACB की इस कड़ी कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

