भारतीय ज्ञान परंपरा में वर्णित रसायनज्ञान ही आधुनिक ग्रीन केमेस्ट्री – प्रो. सारंगदेवोत
24 News Update उदयपुर. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के संघटक विज्ञान संकाय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रसायन विभाग की ओर से सोमवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में रसायन विज्ञान में नवाचार: हरित संश्लेषण और औषधि डिजाइन विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमीनार को शुभारंभ कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, भूपाल नोबल्स संस्थान के मंत्री प्रो. महेेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक डाॅ. मोहब्बत सिंह रूपाखेडी, संयुक्त मंत्री राजेन्द्र सिंह ताणा, रोटम एग्रोकेमिकल हांगकांग के पूर्व निदेशक डाॅ. सतीश चंद्र तिवारी, डीन प्रो. रेणु राठौड़ ने माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
प्रारंभ में प्रो. रेणु राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दो दिवसीय सेमीनार की जानकारी दी।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने भारतीय ज्ञान परंपरा में वर्णित रसायनों के उपयोग के प्रकारों और तरीके ही आधुनिक ग्रीन रसायन है जिसमें प्रकृति और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता समाहित है। उन्होने वेदों एवं ऋषि परंपरा के अनुसार प्रकृति के साथ आत्मिक संबंध स्थापित करके रसायनों के द्वारा पर्यावरण को होने वाले दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है। उन्होने जैव उर्जा के उपयोग और कृषि में प्रकृति आधारित नवाचारों के उपयोग से उर्जा खपत कम करने, पारिस्थितिकी तंत्र व जीवन चक्र को व्यवस्थित करने में हरित रसायन की महत्ता को भी रेखांकित किया। मुख्य वक्ता प्रो. तिवारी ने राजस्थान में पाए जाने वाले खनिजों में दवाओं की संभावना,शोध,अनुसंधान और नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करके पर्यावरण हितैषी बनाने पर जोर दिया। प्रो. सोडानी ने स्वदेशी और मातृभाषा के प्रयोग पर विचार रखे। कुलप्रमुख एवं कुलाधिपति बीएल गुर्जर ने अनुसंधान और शोध में परंपरागत ज्ञान के उपयोग पर जोर देने की बात कही। संगोष्ठी में डाॅ. युवराज सिंह राठौड, नवल सिंह जूड, प्रो. पे्रम सिंह रावलोत, डाॅ. गिरधरपाल सिंह, प्रो. शिव सिंह दुलावत , डाॅ सपना श्रीमाली, डॉ. मंगल श्री दुलावत, डॉ भावेश जोशी, डॉ. उत्तम शर्मा, डॉ योगिता श्रीमाली, डॉ. पूजा जोशी, डॉ. लोकेश सुथार, डॉ. मोनिका, डॉ. नीतू, डॉ. हिमानी वर्मा, डॉ. कीर्तनपाल सिंह, लालिमा शर्मा, शक्ति का चैधरी, हित संकाय के अन्य सदस्य, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित थे। धन्यवाद डाॅ. जय सिंह जोधा ने ज्ञापित किया जबकि संचालन लालिमा, सिद्धिमा शर्मा ने किया ।
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