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विद्यापीठ : दस दिवसीय इंडक्शन प्रोग्राम का हुआ आगाज़, शिक्षा, नैतिक मूल्यों और स्वास्थ्य पर विशेष जोर

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24 News Update उदयपुर । राष्ट्र की उन्नति सीधे तौर पर युवाओं से जुड़ी हुई है। जितना सशक्त युवा होगा, उतना ही सशक्त राष्ट्र बनेगा। शिक्षा तभी सार्थक है जब वह तकनीक और नवाचार के साथ-साथ मूल्यों से भी परिपूर्ण हो। यह विचार राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने सोमवार को व्यक्त किए। वे लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बीए-बीएड और बीएड (बाल विकास) के नवआगंतुक छात्र-शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए आयोजित दस दिवसीय दीक्षारंभ (इंडक्शन) कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
“युवा नवाचार और नैतिक मूल्यों का संगम राष्ट्र की नींव” – प्रो. सारंगदेवोत
प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए शोध-आधारित तथ्यों को अपनाना होगा। विद्यार्थियों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से भी बच्चों के विकास में व्यवहारिक मूल्यों को शामिल करने का आह्वान किया।
“राष्ट्र निर्माण का जिम्मा शिक्षकों पर” – बी.एल. गुर्जर
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुल प्रमुख एवं कुलाधिपति बी.एल. गुर्जर ने कहा कि विद्यापीठ की स्थापना 1937 में हुई, जब शिक्षा को अपराध समझा जाता था। संस्थापक जनुभाई ने वंचित वर्गों को शिक्षा से जोड़ने के लिए रात्रिकालीन पाठशाला शुरू की। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण का जिम्मा शिक्षकों पर है, क्योंकि उनके कार्यों का प्रभाव पीढ़ियों तक जाता है। विद्यापीठ इसी उद्देश्य से लोकमान्य और स्वीकार्य शिक्षक तैयार करने का कार्य कर रहा है।
स्वागत व संचालन
कार्यक्रम की शुरुआत में प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने अतिथियों का स्वागत करते हुए जीवन मूल्यों और बदलते तकनीकी-सामाजिक परिवेश में शिक्षक की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बी.एल. श्रीमाली, डॉ. अनीता कोठारी, डॉ. सरिता मेनारिया, डॉ. अमित देव, डॉ. पुनीत पंड्या, डॉ. पल्लव पांडे, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. हरीश चौबीसा, डॉ. तिलकेश आमेटा, डॉ. मिनेश भट्ट, डॉ. सुभाष पुरोहित सहित संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिम्मत सिंह चुंडावत ने किया तथा आभार डॉ. रचना राठौड़ ने व्यक्त किया।

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