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नारी के लिए पति ही परमात्मा होता है- संत रामनिवासी शास्त्री

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। आसपुर मार्ग योगिन्द्रगिरी तलहट पर स्थित श्री प्रभुदास धाम रामद्वारा में चातुर्मास कर रहे मेडता उत्तराधिकारी संत रामनिवास शास्त्री ने सोमवार को कथा में बताया की नारी के लिए पति ही उसका परमात्मा होता है। संत ने कहा नारियों का धर्म है अपने पति की आज्ञा मानना उनके चरणो की पूजा करे पत्नी के लिए पति ही परमात्मा है और कोई देवता नहीं है । लेकीन पति मे देवता के गुण होना चाहिए उन्है पतिदेव कहा जाता जहां पर नारी का सम्मान होता हे वहां देवता रमण करते है । नारी से दो परिवारो का सम्मान होता है। गृहस्थ आश्रम एक किला है। कथा के माध्यम से बताया कि कन्या हिरे के समान है हिरे पर यदी कोई खरोच लग जाय तो उसकी किम्मत कम हो जाती है। अतः उन्हे सुरक्षित रखना पडता हे। कार्य मर्यादा में रहकर करने चाहिए। शिवजी तो करुणा के अवतार है शिवजी के हाथ में त्रिशूल है जिसमें तीन पत्तियां हैं यह तीनों पत्तियां ज्ञान भक्ति और वैराग्य की प्रतीक है । शिवजी का निवास शमशान पर होता है परंतु अपने भक्तों को जो मांगो वहीं उन्हें प्रदान करते हैं। संत ने बताया शंकर पार्वती से कार्तिकेय का जन्म होता कार्तिकेय के छः मुख है। पार्वती श्रद्धा का रूप ओर शिव विश्वास का रुप है। संसार मे अछे लोग बहुत हे परन्तु वे मोन है। ईसलिए बुरे लोग अपनी मनमानी करते है। शिव पार्वती के घर गणेशजी का प्राकट्य हूआ। परिवार मे शिव का वाहन नन्दी पार्वती का वाहन सिहं ,कार्तिकेय का वाहन मोर एवं गणेश का वाहन चुहा। एक दूसरे के शत्रु है, फिर भी वहां कोई झगडा नहीं है।यह परिवार महान है। जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। जिनको शिव जी के चरणों मे प्रेम नही है वह रामजी को प्रिय नहीं हो सकता । प्रेम होतो राम ओर शिव जैसा। शिव ओर राम एक ही है । कथा के दौरान संत ने अब सोप दिया ईस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों मे.. .. सहित कई भजन प्रस्तृत किये । अपने आपको भगवान को समर्पण करदो ’त्वमेव माता, पिता त्वमेव , त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव, त्वमेय सर्वम मम देव देव पण्डित विनोद त्रिवेदी के मन्त्रोच्चारण द्धारा यजमान हरिश सोमपुरा ने पोथी पुजन किया। संत प्रसाद ,पोथी पुजन व आरती का लाभ हरिशचन्द्र सोमपुरा परिवार ने प्राप्त किया। इस अवसर पर कथा में संत उदयराम महाराज, बाल संत अमृतराम, जयन्ती लाल मोची,दिनेश शर्मा, गोवर्धन शर्मा, मधुकर भावसार, प्रसाद भावसार, लाला भाई भावसार, बालेश्वर भावसार,गोवर्धन शर्मा, राजेन्द्र शुक्ला, महेन्द्र प्रजाति, लोकेश सोमपुरा प्रभाशंकर, फलोत, प्रसाद भावसार, मधुरकर भावसार,राजेन्द्र भावसार, मोनिका भावसार,विनय शुक्ला, कोशल्या शर्मा,नयना त्रिवेदी, शकुन्तला शर्मा, अरुणा भावसार ,दिपीशा भावसार,ललिता भावसार,मधुबाला सोमपुरा, संगीता सोमपुरा ,पिकीं भावसार सहित रामस्नेही भक्त उपस्थित रहे ।

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