24 News Update खैरवाड़ा, कस्बे के सदर बाजार स्थित नेमीनाथ मंदिर में चातुर्मासरत 105 श्री सुप्रज्ञमती माताजी ने चातुर्मास के अंतर्गत चल रहे मंगल प्रवचन की श्रृंखला में बताया कि जिस जीव के हृदय में भगवान के प्रति अटूट श्रद्धा जागृत हो जाती है, उसे कोई भी परिस्थिति रुला नहीं सकती, क्योंकि वह जानता है कि किसी में भी उसे वास्तव में दुखी करने की शक्ति नहीं है। माताजी ने समझाया कि तन का सुंदर होना जीवन का सार नहीं, बल्कि मन का सुंदर होना ही वास्तविक सौंदर्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संसार में कोई भी किसी का वास्तविक पालनहार नहीं है, प्रत्येक जीव अपने जीवन का पोषण स्वयं करता है। अंत में उन्होंने कहा कि जीवन में घटने वाली हर घटना, हर सुख-दुःख केवल और केवल हमारे कर्मों पर निर्भर करता है, इसलिए सत्कर्म ही हमारे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। प्रवचन से पूर्व 48 दिवसीय भक्तामर महामंडल विधान की आराधना श्रद्धापूर्वक चल रही है, जिसमें आर्यिका ससंघ के सानिध्य में नियमित तौर पर भगवान आदिनाथ को अर्घ्य समर्पित किए जा रहे हैं। धर्म प्रभावना के तहत अधिक से अधिक श्रावक श्राविका सहभागी होकर आध्यात्मिक लाभ ले रहे हैं। आर्यिका के मंगल आशीर्वचन रूपी प्रवचन के दौरान तहसील रोड़, सदर बाजार, स्वस्तिक कॉलोनी, महावीर कॉलोनी एवं आसपास के गांवों से आए सकल दिगम्बर जैन समाज के सैकड़ों धर्मावलंबी उपस्थित रहे।
प्रत्येक जीव अपने जीवन का पोषण स्वयं करता है : आर्यिका सुप्रज्ञमती माताजी

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