24 News Update खेरवाड़ा, कस्बे के नेमिनाथ मंदिर में चातुर्मासरत आर्यिका सुप्रज्ञमती माताजी ससंघ का शनिवार को तहसील रोड स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर से प्रातः 8:30 बजे समाज अध्यक्ष रमेश चंद्र कोठारी एवं महामंत्री भूपेंद्र जैन के नेतृत्व में महावीर कॉलोनी के लिए विहार हुआ। इससे पूर्व माता जी के मुखारविंद से मंदिर में भगवान शांतिनाथ का पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा की गई। महावीर कॉलोनी सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष रोशन लाल नागदा एवं मंत्री भूपेंद्र भगोरिया के नेतृत्व में समाजजन तहसील रोड पहुंचे, जहां से आर्यिका संघ की अगवानी कर बैंड बाजे की धुन पर नाचते झूमते जय कारा लगाते हुए महावीर कॉलोनी जिनालय में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। प्रवेश से पूर्व शोभा यात्रा के दौरान श्रावक श्राविकाओं द्वारा जगह जगह विदुषी आर्यिका का पाद प्रक्षालन एवं पुष्प वृष्टि की गई। महावीर कॉलोनी जिनालय में प्रवेश से पूर्व महिला परिषद की 11 महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर फूलों की रंगोली सजाकर संघ का स्वागत किया।
आर्यिका द्वारा जिनालय के सभागार में धर्मावलंबियों को प्रवचन रूपी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। प्रवचन में बताया कि गुरु का समागम दुर्लभता से मिलता है। गुरु के आशीर्वाद से ही धर्म प्रभावना होती है, सभी को गुरु वचन एवं गुरु आज्ञा का पालन करना चाहिए। आचार्य आदि सागर जी महाराज की दीक्षा जयंती पर उनके जैनेश्वरी दीक्षा से लेकर विस्तार से समझाया। बिना नमक के नमकीन अच्छी नहीं लगती वैसे ही बिना शक्कर के मिठाई भी अच्छी नहीं लगती है वैसे ही बिना गुरु के शिष्य का भी कोई अस्तित्व नहीं होता है। यह भी बताया कि जब श्रावक वैराग्य की ओर बढ़ता है तो भावनाएं बदलती रहती हैं। धर्म सभा में दान के बारे में बोलते हुए बताया कि दान छुपा कर देना चाहिए न कि छपा कर। जीवन में आगे बढ़ना चाहते हो तो अच्छी बातों को ग्रहण करें और बुरी बातों का त्याग करो।
धर्म सभा में हुमड समाज के अध्यक्ष वीरेंद्र वखारिया, चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष नरेंद्र पंचोली एवं मंत्री कुलदीप जैन, शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अध्यक्ष रमेश चंद्र कोठारी एवं महामंत्री भूपेंद्र कुमार जैन, हेमराज नागदा, गुणवंत फ़डिया, शांति लाल वखारिया, रंजन जैन,हसमुख जैन, गजेंद्र पंचोली सहित सकल दिगंबर जैन समाज के सैकड़ो लोग शोभायात्रा एवं धर्म सभा में उपस्थित रहे। धर्म सभा समारोह का संचालन महेंद्र जैन द्वारा किया गया।
“25 नवंबर से होगा पांच दिवसीय समवशरण विधान”
धर्म सभा में विदुषी आर्यिका के निर्देशन में 25 नवंबर से 29 नवंबर तक पांच दिवसीय समवशरण विधान के आयोजन की घोषणा की गई। विधान के अंतिम दिन 29 नवंबर को हवन एवं पूर्णाहुति की जाएगी। उल्लेखनीय है कि समवशरण विधान जैन धर्म में एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो तीर्थंकर के समवशरण (दिव्य उपदेश कक्ष) पर आधारित है। इसमें मंत्रोच्चार और पूजा के माध्यम से समवशरण के विभिन्न हिस्सों जैसे मंडप, पीठ और गंधकुटी का ध्यान और पूजन किया जाता है। इसका उद्देश्य केवलज्ञान की प्राप्ति और आंतरिक गुणों को प्रकट करना है।

