24 News Update उदयपुर। जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा-5 ने रविवार को श्री वासुपूज्य स्वामी जैन संघ, महावीर साधना एवं स्वाध्याय केन्द्र, अम्बामाता स्कीम में मंगल प्रवेश किया। आचार्य संघ का हिरणमगरी सेक्टर-11 से विहार कर यहां पहुंचने पर श्रद्धालुजनों ने भव्य स्वागत किया। कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि प्रातः 9:30 बजे आयोजित धर्मसभा में प्रवचन देते हुए आचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज ने कहा कि तीर्थंकर परमात्मा इस सृष्टि के सर्वाधिक पुण्यशाली और अद्भुत दिव्य आत्मा होते हैं। उनके जीवन की प्रत्येक घटना आश्चर्यजनक एवं पुण्यवर्धक होती है। आचार्यश्री ने कहा कि जब तीर्थंकर माता के गर्भ में आते हैं, तब माता 14 महास्वप्न देखती हैं और 32 लाख देवता विमान लेकर आकर उन्हें प्रणाम करते हैं। उनका जन्म होते ही चारों दिशाओं में प्रकाश फैल जाता है। देवगण मेरु पर्वत पर भव्य जन्मोत्सव मनाते हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर सुख-समृद्धि में जीवन जीने के बाद भी आत्मकल्याण के लिए जंगलों में कठोर तप कर केवलज्ञान प्राप्त करते हैं। समवशरण में धर्मदेशना के समय उनकी वाणी अर्थमागधी होते हुए भी प्रत्येक प्राणी को अपनी भाषा में समझ आती है। यहां तक कि जन्मजात वैरी पशु-पक्षी भी उनके समीप आपसी वैर भूलकर शांतिपूर्वक धर्मोपदेश सुनते हैं। धर्मसभा में कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, समिति अध्यक्ष प्रकाशचंद कोठारी, महामंत्री फतेहसिंह मेहता, सचिव ललित धुप्या, संयोजक जितेंद्र धाकड़, जशवंतसिंह सुराणा, राकेश चेलावत, महेंद्र चपलोत सहित अनेक पदाधिकारी व कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित रहे।
तीर्थंकरों के जीवन की हर घटना आश्चर्यकारी : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज

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