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गुरु ही जीवन की सच्ची दिशा बतलाते है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज

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– मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में चल रहे है निरंतर धार्मिक प्रवचन

24 News Update उदयपुर।
मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।  
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि शुक्रवार को आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा देव, गुरु और धर्म स्वरुप तत्त्वत्रयी में गुरु का स्थान बीच में है। गुरु ही ज्ञान के दाता है। जैसे दो कमरों के बीच में दीपक रखने से वह दीपक दोनों कमरों को प्रकाशित करता है। वैसे ही गुरु भी देवतत्व और धर्म तत्त्व का  ज्ञान कराते हैं। इस जगत् में जब तीर्थंकर के समान सूर्य का अभाव है, जब गणधर के समान चन्द्रमा का भी अभाव है तब तीर्थंकरो के द्वारा बताए धर्म के स्वरुप का बोध गुरु रुपी दीपक के द्वारा प्राप्त होता है। 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी द्वारा स्थापित चतुर्विध संघ  स्वरूप शासन 21000 वर्ष तक चलने वाला है, स्वयं परमात्मा महावीर तो 30 वर्ष के बाद मोक्ष में चले गए। शेष काल तक शासन का अनुशासन गुरु भगवंतों ही करते हैं। आचार्य, उपाध्याय और साधु स्वरूप गुरु तत्त्व में आचार्य भगवंत को तीर्थकर के समान कहा है। जो आचार्य, परमात्मा के द्वारा बताए गए तत्त्वज्ञान को सम्यग् प्रकार से बताते है, वे आचार्य, तीर्थंकर तुल्य है। गुरु के सानिध्य से ही जीवन की सच्ची दिशा प्राप्त होती है। आत्मा का शुद्ध स्वरुप अनंत ज्ञान मय है। यह आत्मा का निश्चय धर्म है। निश्चय धर्म की प्राप्ति के व्यवहार धर्म का पालन आवश्यक है। धर्म की क्रिया आदि का ज्ञान देना व्यवहार धर्म का उपदेश है।
जावरिया ने बताया कि  27 जुलाई को प्रात 9 बजे संगीतमय पश्चात्ताप भावयात्रा का आयोजन होगा । इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, भोपालसिंह सिंघवी, गौतम मुर्डिया, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।

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