24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) एक बार फिर अपनी सीमा विस्तार की तैयारी में है। इस बार लगभग 50 गांवों को यूडीए में शामिल किए जाने की योजना है। हालांकि, इस फैसले को लेकर विरोध शुरू हो गया है। शुक्रवार को उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की आठ ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि कलेक्ट्री पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
आदिवासी बाहुल्य पंचायतों का विरोध
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि प्रस्तावित सभी आठ पंचायतें आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आती हैं। वर्तमान में इन क्षेत्रों के लोगों के अधिकतर कार्य पंचायत स्तर पर ही निपट जाते हैं, लेकिन यूडीए में शामिल होने के बाद उन्हें हर छोटे-छोटे कार्य के लिए उदयपुर शहर आना पड़ेगा। इससे आर्थिक, सामाजिक और समय की दृष्टि से ग्रामीणों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि अगर इन पंचायतों को यूडीए में शामिल करने की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा। ग्रामीणों की राय लिए बिना इस तरह का निर्णय थोपना उचित नहीं है।
जनप्रतिनिधियों की मांगे
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से मांग की गई कि इन आठों पंचायतों को यूडीए में शामिल न किया जाए और ग्राम पंचायत व्यवस्था को यथावत रखा जाए ताकि आदिवासी समुदाय के लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो।
विवेक कटारा, कांग्रेस नेता ने कहा कि “यूडीए का विस्तार आदिवासी क्षेत्रों पर जबरन थोपा जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन होगा। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।“ सज्जन कटारा, प्रधान, गिवा बोलीं कि “हमारी पंचायत के लोगों के रोजमर्रा के काम अब तक गांव में ही निपटते हैं। यूडीए में शामिल होने से उन्हें शहर आना पड़ेगा, जो व्यवहारिक रूप से मुश्किल है।“
आठ आदिवासी पंचायतों ने किया झंडा बुलंद, यूडीए में शामिल करने का विरोध, जनप्रतिनिधि पहुंचे कलेक्ट्री, कहा- छोटे कामों के लिए शहर दौड़ाना पड़ेगा, आंदोलन की चेतावनी

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