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- उत्कृष्ट शोध एवं विकास कार्यों का परिणाम – डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक
24 News Update उदयपुर। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और एल्सिवियर द्वारा हाल ही में जारी विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर के दो वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने स्थान हासिल किया है। यह गौरव डॉ. नारायण लाल पंवार और डॉ. विनोद सहारण को प्राप्त हुआ है।
एमपीयूएटी के कुलगुरु डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल होना दोनों वैज्ञानिकों के उत्कृष्ट शोध एवं विकास कार्यों का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि विश्वविद्यालय और देश के लिए भी गौरव का विषय है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय हर वर्ष यह वैश्विक रैंकिंग जारी करता है, जो वैज्ञानिकों के साइटेशन, एच-इंडेक्स, सह-लेखन और समग्र सूचकांकों के आधार पर तैयार की जाती है। इसमें 22 प्रमुख वैज्ञानिक क्षेत्रों और 174 उप-क्षेत्रों का वर्गीकरण शामिल होता है।
डॉ. नारायण लाल पंवार
डॉ. नारायण लाल पंवार, एमपीयूएटी के इंजीनियरिंग संकाय में नवीकरणीय ऊर्जा इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हैं। वे लगातार पिछले पांच वर्षों से इस सूची में शामिल हो रहे हैं। इस वर्ष उन्होंने भारत के शीर्ष 500 वैज्ञानिकों में भी स्थान प्राप्त किया है।
उनका शोध औद्योगिक एवं ग्रामीण अनुप्रयोगों हेतु उन्नत चूल्हों, बायोमास गैसीफायरों और सौर तापीय उपकरणों के डिज़ाइन एवं विकास पर केंद्रित है। डॉ. पंवार ने अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, नवीकरणीय ऊर्जा पर 20 पुस्तकें लिखी हैं और 15 पेटेंट हासिल किए हैं। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का “प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार”, आईआईटी दिल्ली का “श्रीमती विजय-उषा सोढ़ा अनुसंधान पुरस्कार” (2014), राजस्थान सरकार का ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (2018) तथा राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) मान्यता पुरस्कार (2023-24) शामिल हैं।
डॉ. विनोद सहारण
डॉ. विनोद सहारण, एमपीयूएटी के आणविक जीवविज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। उन्हें नैनोबायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए यह वैश्विक सम्मान प्राप्त हुआ है।उन्होंने पीएचडी शोध इजराइल के बेन-गुरियन विश्वविद्यालय (2005) से किया और वोल्केनी रिसर्च इंस्टिट्यूट (इजराइल) में पोस्टडॉक्टोरल (2007) कार्य किया। वे 2007 से एमपीयूएटी में कार्यरत हैं।
डॉ. सहारण पौधों के नैनोबायोटेक्नोलॉजी अनुसंधान, जैव पॉलिमर और बायोस्टिमुलेंट के विकास में संलग्न हैं। वे राष्ट्रीय और औद्योगिक परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनका मूल्य लगभग 2.3 करोड़ रुपये है। उन्होंने अब तक 20 निष्णात और 8 पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन किया है।
उनके शोध कार्य को 5000 से अधिक साइटेशन प्राप्त हुए हैं। वे जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की कार्यबल समिति के सदस्य भी हैं। डॉ. सहारण को चीन, जापान, सिंगापुर, जर्मनी, पोलैंड, दुबई और इजराइल सहित कई देशों में व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया गया है।
यह उपलब्धि डॉ. नारायण लाल पंवार और डॉ. विनोद सहारण के निरंतर शोध, नवाचार और वैज्ञानिक समर्पण का परिणाम है। इससे न केवल एमपीयूएटी, बल्कि राजस्थान और भारत को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली है।

