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सीबीएसई 10वीं परीक्षा में बड़ा बदलाव: 2026 से साल में दो बार होंगी बोर्ड परीक्षाएं, सप्लीमेंट्री परीक्षा होगी समाप्त : डॉ. शैलेन्द्र सोमानी

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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए 2026 से परीक्षा साल में दो बार आयोजित कराने की घोषणा की है। बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बुधवार को इसकी औपचारिक जानकारी दी। इस नई व्यवस्था के तहत पहली परीक्षा फरवरी में कराई जाएगी, जिसमें सभी विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। वहीं, मई में दूसरी परीक्षा होगी, जिसमें छात्र तीन विषयों तक में अपने प्रदर्शन को सुधारने का अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
सीबीएसई ने सप्लीमेंट्री परीक्षा प्रणाली को भी समाप्त करने का निर्णय लिया है। बोर्ड का कहना है कि इस नई प्रणाली से छात्रों को अपनी पढ़ाई का मूल्यांकन दो अवसरों पर करने का अवसर मिलेगा और इससे परीक्षा का मानसिक दबाव भी कम होगा। हालांकि फिलहाल यह बदलाव केवल कक्षा 10वीं के लिए लागू किया गया है। 12वीं की परीक्षा प्रणाली पूर्ववत ही रहेगी।
नई परीक्षा व्यवस्था के तहत साइंस, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषाओं जैसे विषयों में छात्र अपनी मर्जी से तीन विषयों तक में प्रदर्शन सुधारने का विकल्प चुन सकेंगे। वहीं, विंटर बाउंड स्कूलों के विद्यार्थियों को दोनों परीक्षाओं में से किसी एक में शामिल होने की छूट दी जाएगी। यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में तीन या अधिक विषयों में शामिल नहीं होता है, तो वह दूसरी परीक्षा में बैठने का पात्र नहीं होगा। परीक्षा परिणाम पहली परीक्षा के लिए अप्रैल में और दूसरी परीक्षा के लिए जून में घोषित किए जाएंगे। शिक्षा क्षेत्र में इस निर्णय का स्वागत किया जा रहा है। MDS ग्रुप ऑफ स्कूल्स के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र सोमानी ने कहा कि CBSE का यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों की दिशा में एक अहम कदम है। इससे न केवल छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि परीक्षा का तनाव भी घटेगा। उन्होंने कहा कि MDS ग्रुप इस पहल का समर्थन करता है और अपने विद्यार्थियों को इस नई व्यवस्था के अनुरूप मार्गदर्शन देने के लिए पूरी तरह तैयार है। बोर्ड का मानना है कि इससे विद्यार्थियों को परीक्षा में अपनी त्रुटियों को सुधारने और बेहतर अंक प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। साथ ही, सप्लीमेंट्री परीक्षा व्यवस्था समाप्त होने से छात्रों को बार-बार पूरक परीक्षा देने की आवश्यकता भी नहीं रहेगी।

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