24 न्यूज अपडेट नेशनल डेस्क। अमेरिकी सरकार ने सेना में दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध लगाने का नया आदेश जारी किया है, जिसे सिख सैनिकों, सिख संगठनों और भारतीय नेताओं ने कड़ा विरोध बताया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने चेताया कि इस फैसले से सबसे पहले सिखों पर असर पड़ेगा, वहीं यहूदी, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी। SGPC के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि अमेरिका एक लोकतांत्रिक देश है और लोगों के धर्म और मर्यादा का सम्मान करना अनिवार्य है।
आम आदमी पार्टी के सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि सिखों के लिए केश और दाढ़ी धार्मिक पहचान का प्रतीक हैं। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह अमेरिकी प्रशासन से हस्तक्षेप कर इस आदेश को रद्द कराए। इंद्रबीर सिंह निज्जर ने बताया कि सिखों ने 2017 में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सेना में दाढ़ी रखने की धार्मिक छूट हासिल की थी, और अब इसे फिर से सीमित करना उनका अमेरिकन आर्मी में प्रवेश मुश्किल कर देगा।
अमेरिका में सिख कोएलिशन और नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी एसोसिएशन (NAPA) ने इसे “विश्वासघात” और धार्मिक एवं नागरिक अधिकारों पर हमला बताते हुए आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग की। संगठनों ने चेताया कि नई नीति लागू होने पर सैकड़ों सिख सैनिकों को या तो अपनी आस्था छोड़नी होगी या सेना से इस्तीफा देना होगा। सिखों ने कहा कि दाढ़ी-मूंछ काटना उनकी आस्था के खिलाफ है और वर्षों तक कानूनी संघर्ष के बाद मिली धार्मिक छूट को यह आदेश चुनौती देता है। SGPC और सिख संगठनों ने अमेरिकी प्रशासन और कांग्रेस से अपील की है कि वे किसी भी धर्म का अपमान न करें और धार्मिक पहचान का सम्मान सुनिश्चित करें।

